सरकारी आवास में चलते मिला चकबन्दी न्यायालय
ललितपुर ब्यूरो: बिजनौर जनपद स्थानान्तरित होने के बाद कार्यमुक्त किए चकबन्दी अधिकारी के सरकारी आवास
ललितपुर ब्यूरो:
बिजनौर जनपद स्थानान्तरित होने के बाद कार्यमुक्त किए चकबन्दी अधिकारी के सरकारी आवास में चकबन्दी न्यायालय चल रही थी। विभागीय कर्मचारियों की मौजूदगी में कृषकों से अनुचित लाभ लेकर बाकायदा निर्णय भी टाइप किए जा रहे थे। जिलाधिकारी के निर्देश पर एसडीएम एवं सीओ सिटि ने सरकारी आवास में की गई छापेमारी के दौरान इसका खुलासा किया। पुलिस ने इस मामले में चकबन्दी अधिकारी समेत 5 नामजद आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार के आरोप में केस पंजीकृत किया है।
उपजिलाधिकारी सदर घनश्याम वर्मा ने कोतवाली सदर पुलिस को तहरीर देकर बताया कि जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह के निर्देश पर बुधवार को उन्होंने पुलिस क्षेत्राधिकारी सदर हिमाशु गौरव के साथ चकबन्दी अधिकारी कल्याण प्रताप सिंह के आवास संख्या 9 राजकीय कॉलनि जेल रोड पर सुबह 11 बजे छापा मारा, क्योंकि महरौनी अन्तर्गत ग्राम सुनवाहा निवासी छत्रपाल सिंह ने जिलाधिकारी से मौखिक शिकायत की थी कि कल्याण प्रताप सिंह इस जनपद से स्थानान्तरित हो चुके है, फिर भी अपने आवास पर कृषकों को बुलाकर उनसे अनुचित लाभ लेकर पिछली तिथियों में पत्रावलियों पर आदेश कर रहे है। शिकायत के आधार पर की गई छापेमारी के दौरान आवास के पास खड़े 20 - 25 लोग वहाँ से भाग गए। कमरे में चकबन्दी अधिकारी बानपुर कल्याण प्रताप सिंह, विजय कुमार श्रीवास्तव सहायक चकबन्दी अधिकारी, लक्ष्मी प्रसाद सहायक चकबन्दी अधिकारी, सोनू कुशवाहा चकबन्दी लेखपाल, महेन्द्र सिंह टाइपिस्ट व सगुन सिंह निवासी ग्राम सुनवाहा मौजूद थे। कमरे में जोत चकबन्दी अधिनियम का निर्णय टाइप किया जा रहा था। कल्याण सिंह 31 जुलाई को स्थानान्तरित होकर जनपद बिजनौर के लिए कार्यमुक्त हो चुके थे। इसके बाद भी नामजद कर्मचारियों की मदद से चकबन्दी न्यायालय से मूल पत्रावलियो को मँगाकर अपने राजकीय आवास पर अवैधानिक रूप से पत्रावलियों का निस्तारण करते हुए पाए गए। मौके से सभी दस्तावेजों को जब्त कर लिया गया। कमरे से 1 अटैची बरामद हुई, जिसमें 85, 000 रुपये रखे पाए गए। रुपयों के बारे में भी चकबन्दी अधिकारी कोई स्पष्ट जबाव नहीं दे पाए। टाइपिस्ट मौका पाकर भागने में सफल हो गया। कोतवाली सदर पुलिस ने सभी 5 नामजद आरोपियों के खिलाफ आइपीसी की धारा 420, 468, 120बी व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 3/13 के तहत मुकदमा पंजीकृत करके आरोपियों को गिरफ्तार करके जिला एवं सत्र न्यायालय में पेश किया, जहाँ से उन्हे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।