खुशखबरी! 167 किसानों को फ्री मिलेगा कोदों का बीज
ललितपुर ब्यूरो : जनपद से लगभग विलुप्त हो गयी कोदों की खेती को फिर से नया जीवन देने के उद्देश्य
ललितपुर ब्यूरो :
जनपद से लगभग विलुप्त हो गयी कोदों की खेती को फिर से नया जीवन देने के उद्देश्य से कृषि विभाग द्वारा अनूठी पहल की गयी है। इसके तहत जनपद के 167 लघु, सीमान्त किसानों को मुफ्त में कोदों का बीज दिया जायेगा। 1 किसान को 3 किलोग्राम बीज की मिनी किट दी जायेगी। ब्लॉक मुख्यालयों पर स्थित सभी बीज गोदामों पर कोदों का बीज उपलब्ध है। कोदों शरीर के लिए बेहद लाभकारी अनाज है। इसमें कई पोषक तत्व पाये जाते है।
किसानों की आय बढ़ाने के लिये सोयाबीन, ज्वार, मक्का के साथ-साथ अब कोदों पर भी जोर दिया जा रहा है। जनपद में लगभग 2 दशक पूर्व तक कई किसान कोदों की खेती करते थे, लेकिन धीरे-धीरे किसानों ने इससे किनारा कर लिया। आज स्थिति यह है कि कोदों की फसल जनपद से विलुप्त हो गयी है। कोदों की खेती करने वाले किसान अब उर्द, मूँग, सोयाबीन पर ज्यादा जोर दे रहे है। शासन की मंशा के अनुसार कोदों की खेती के प्रति किसानों को जागरुक और प्रेरित करने के लिए अनूठी पहल शुरू की गई है। कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जनपद के 167 लघु, सीमान्त किसानों को मुफ्त में कोदों का बीज दिया जायेगा। किसान को 3-3 किलोग्राम बीज की मिनी किट दी जायेगी। मौजूदा समय में सभी ब्लॉक मुख्यालयों तालबेहट, महरौनी, जखौरा, बिरधा, मड़ावरा, बार में कृषि विभाग के बीज गोदामों पर कोदों की के-439 किस्म का बीज उपलब्ध है। यह बीज किसानों को वितरित करने का काम शुरू कर दिया गया है। शासन के निर्देशानुसार अधिकतम 5 एकड़ तक के लिए ही बीज दिया जायेगा, लेकिन मुफ्त में वितरित होने वाला बीज 1 किसान को 1 मिनी किट के हिसाब से वितरित किया जायेगा। बीज वितरण के बाद कोदों की खेती के लिए भी समय-समय पर किसानों को कृषि विभाग के अधिकारी व कर्मचारी महत्वपूर्ण जानकारिया देकर जागरुक करते रहेगे। किसानों को कोदों की फसल से सम्बन्धित कई जानकारिया भी दी जायेगी।
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इनका कहना है
कोदों की फसल को फिर से पुनर्जीवित करने के लिए जनपद में 167 लघु, सीमान्त किसानों को मुफ्त में मिनी किट वितरित किये जा रहे है। 1 किट में 3 किलोग्राम बीज है। किसानों को कोदों की खेती करने को जागरुक भी किया जा रहा है। प्रचार प्रसार के लिए अधीनस्थों को आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये है।
संतोष कुमार सविता
उप कृषि निदेशक, ललितपुर
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ऐसे करे कोदों की खेती
असिंचित क्षेत्रों में बोये जाने वाले मोटे अनाजों में कोदों का महत्वपूर्ण स्थान है। भले ही सरकारी आँकड़ों में ललितपुर जनपद में कोदों की खेती होती हो, लेकिन हकीकत में 1 या 2 प्रतिशत किसान ही शायद इसकी खेती करते हों। इसकी खेती सभी प्रकार की मिट्टी में होती है। बजरी युक्त पथरीली भूमि में भी प्रतिकूल परिस्थितियों में खराब मिट्टी के बावजूद कोदों की फसल से अनाज व भूसा प्राप्त होता है। रेतीली बलुई मिट्टी एवं दोमट मिट्टी में इसकी पैदावार अच्छी होती है। इसकी बुवाई 15 जून से 30 जुलाई तक होती है। 1 हैक्टेयर में 15 किलो बीज बोया जाता है। खेत में नमी होने पर इसकी बुआई कर देनी चाहिए। बुवाई छिटकवाँ विधि से की जाती है। बीज की पंक्ति से पंक्ति की दूरी 40-50 सेमी, पौधे से पौधे की दूरी 8-10 सेमी व बीज बोने की गहराई 3 सेमी होनी चाहिए। बुआई के समय नत्रजन, फॉस्फोरस तथा पोटाश का प्रयोग करना चाहिए। कोदों में अरगट रोग, कण्डुआ रोग, रतुआ/ गेरुई रोग लगते है। इसकी फसल अक्टूबर माह में पककर तैयार हो जाती है। फसल की कटाई जमीन से सटाकर करते हुए बण्डल बनाकर 1 सप्ताह सूखने के लिए छोड़ दें, फिर थ्रेसिंग कर अनाज प्राप्त कर सकते है। कोदों का उत्पादन 15 से 18 कुण्तल प्रति हैक्टेयर के हिसाब से होता है।
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पौष्टिक है कोदों
कोदों में 8.3 ग्राम प्रोटीन, 65.9 ग्राम कार्बाेहाइड्रेट, 1.4 ग्राम वसा, 9 ग्राम कूड फाइबर, 2.6 ग्राम लौह तत्व, 27 मिलीग्राम कैल्शियम व 188 मिलीग्राम फास्फोरस है। यह शरीर के लिए बेहद पौष्टिक है। करीब 30-40 वर्ष पूर्व तक घर-घर में कोदों को खाया जाता था।