बहुचर्चित टोड़ी हत्याकाण्ड में 6 को आजीवन कारावास
ललितपुर ब्यूरो : अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (आवश्यक वस्तु अधिनियम) जगदीश कुमार ने लगभग 10 वर्ष पू
ललितपुर ब्यूरो :
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (आवश्यक वस्तु अधिनियम) जगदीश कुमार ने लगभग 10 वर्ष पूर्व जिले के बहुचर्चित टोड़ी हत्याकाण्ड में नामजद आधा दर्जन अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी है। साथ ही 60 हजार रुपया जुर्माना भी लगाया गया है। दिनदहाड़े घटी इस घटना में हमलावरों ने रजिशन पिता-पुत्र पर जानलेवा हमला किया था, जिसमें पुत्र की मौत हो गई थी। सजा सुनाये जाने के बाद पुलिस ने सभी अभियुक्तों को जेल भेज दिया।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता बादाम सिंह यादव ने बताया कि लगभग 10 वर्ष पूर्व 1 नवम्बर 2008 की दोपहर करीब 12 बजे थाना बार अन्तर्गत ग्राम टोड़ी निवासी मोतीलाल यादव पुत्र शिवप्रसाद अपने पुत्र सुरेश के साथ खेत पर काम कर रहा था। इसी बीच गाँव के ही बलवीर सिंह यादव, रामायण सिंह यादव, शेर सिंह यादव पुत्रगण रूप सिंह यादव, रूप सिंह यादव पुत्र पारीक्षित यादव, धर्मेन्द्र सिंह, महिपाल सिंह पुत्रगण राम सिंह यादव व तिलक सिंह पुत्र बलवीर सिंह यादव हाथों में लाठी, डण्डा, कुल्हाड़ी, तमंचा व अन्य धारदार हथियारों से लैस होकर खेत पर पहुँचे और पिता-पुत्र से गाली-गलौज करने लगे। इसका जब दोनों ने विरोध किया, तो बलवीर सिंह व शेर सिंह ने सुरेश पर तमंचों से फायर झोंक दिये, जबकि शेष हमलावरों ने घेरकर लाठी व कुल्हाड़ी से हमला कर दिया। सुरेश की चीखपुकार पर मोतीलाल उसे बचाने दौड़ा, तो हमलावरों ने उस पर भी फायर झोंके और हमला कर दिया। फायरिग से मोतीलाल के बाँयें पैर में गोली लग गयी व शरीर के अन्य भागों में भी चोटे आ गयी। पिता-पुत्र के चिल्लाने पर आसपास खेतों में काम कर रहे लोग भागकर मौके पर आ गये। उन्होंने हमलावरों को ललकारा, तो वे जान से मारने की धमकी देते हुए मौके से भाग गये। मरणासन्न व खून से लथपथ हालत में सुरेश व मोतीलाल को लेकर ग्रामीण थाना बार पहुँचे व पुलिस को घटना की जानकारी दी। इस पर पुलिस ने मोतीलाल की तहरीर पर बलवीर, रामायण, शेर सिंह, रूप सिंह, धर्मेन्द्र, महिपाल, तिलक निवासीगण ग्राम टोड़ी थाना बार के खिलाफ धारा 147, 148, 149, 307, 504, 506 के तहत मामला दर्ज कर लिया। पुलिस ने घायल मोतीलाल व सुरेश को उपचार के लिए बार के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया। यहाँ उनकी हालत में सुधार न होने पर कड़ी सुरक्षा के बीच पिता-पुत्र को जिला अस्पताल लाया गया, जहाँ उपचार के दौरान चंद मिनट में सुरेश की मौत हो गयी। घटना की सूचना मिलने पर तालबेहट, जखौरा, बार, बानपुर की पुलिस के साथ हमलावरों की तलाश शुरू कर दी थी। उधर, सुरेश की मौत के बाद पुलिस ने इस मामले में हत्या की धारा 302 के तहत बढ़ोत्तरी कर ली थी।
हमलावरों की तलाश में छापामारी कर रही पुलिस ने 2 नवम्बर 2008 को थाना बार क्षेत्र के भागनगर तिराहा से भागने का प्रयास कर रहे हमलावर बलवीर सिंह व शेर सिंह को दबोच लिया था। बलवीर सिंह तमंचा व दो जिन्दा तथा दो खोखा कारतूस बरामद किये थे, जबकि शेर सिंह से छुरा बरामद किया गया था। तीन नवम्बर को पुलिस ने ग्राम डुलावन के मन्दिर के नजदीक से रूप सिंह, धर्मेन्द्र सिंह व तिलक को गिरफ्तार कर लिया था। इसी दिन रामायण सिंह व महिपाल भी पुलिस के हत्थे चढ़ गये थे। पुलिस ने रामायण के कब्जे से 315 बोर की बन्दूक तथा कारतूस बरामद किये थे। पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। पुलिस ने चार्जशीट तैयार कर न्यायालय में पेश की, तब से यह मामला न्यायालय में विचाराधीन था। इस समय सभी आरोपी जमानत पर थे।
सोमवार को गवाहों के बयानों, साक्ष्यों व सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता की दलीलों को न्याय संगत मानते हुए न्यायाधीश ने अभियुक्त बलवीर सिंह, रामायण सिंह, शेर सिंह, रूप सिंह, धर्मेन्द्र सिंह व महिपाल सिंह को धारा 147, 148, 149 व 302 में दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी। साथ ही 10-10 हजार रुपया जुर्माना भी लगाया। जुर्माना अदा न करने पर सभी अभियुक्तों को 3-3 माह का अतिरिक्त कारावास भी भोगना होगा। सजा सुनाये जाने के बाद पुलिस ने सभी अभियुक्तों को अपनी हिरासत में लेकर जेल भेज दिया।
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बॉक्स में
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नाबालिग का मामला किशोर बोर्ड में चला
इस मामले में नाबालिग तिलक का मामला किशोर न्याय बोर्ड में चला था। इसका कारण यह है कि तिलक की उम्र घटना के वक्त मात्र 14 वर्ष थी।
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शादी में न बुलाने को लेकर घटी थी घटना
इस बहुचर्चित हत्याकाण्ड की सुनवाई के दौरान गवाहों के बयानों व साक्ष्यों से यह बात उभरकर सामने आयी थी कि घटना के कुछ माह पूर्व मृतक की बहिन की शादी हुई थी। इसमें उसके पिता मोतीलाल ने हमलावरों को नहीं बुलाया था। यह बात हमलावरों को चुभ गई थी और इसी बात की रजिश के चलते इस घटना को अंजाम दिया गया था।