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आस्था का केन्द्र बनी है वरदायनी माँ बरबासन

बालाबेहट (ललितपुर): कस्बे से तीन किलोमीटर दूर पश्चिम में विन्ध्यवासिनी माँ बरबासन देवी का मन्दिर आस्

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Mar 2018 12:32 AM (IST)Updated: Wed, 21 Mar 2018 12:32 AM (IST)
आस्था का केन्द्र बनी है वरदायनी माँ बरबासन
आस्था का केन्द्र बनी है वरदायनी माँ बरबासन

बालाबेहट (ललितपुर): कस्बे से तीन किलोमीटर दूर पश्चिम में विन्ध्यवासिनी माँ बरबासन देवी का मन्दिर आस्था का केन्द्र बना हुआ है। मान्यता है कि घने जंगल एवं पहाड़ों के बीच विराजी माँ बरबासन देवी के दरबार में आने वाला कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता। यही वजह है कि यहाँ पहुँचने वाले श्रद्धालुओं का वर्षभर ताँता लगा रहता है। यहाँ पहुँचकर लोग शकून की ऊर्जा ग्रहण करते है। घना जंगल, कल्पवृक्ष एवं पक्षियों का कोलाहल के साथ ही मन्दिर के पास बहता हुआ झरना यहाँ पहुँचने वाले श्रद्धालुओं की यहाँ तक पहुँचने में आई पूरी थकान गायब हो जाती है।

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यहाँ पर्वत पर विराजीं बरबासन माता के पास ही माँ ललिता देवी का मन्दिर भी बना हुआ है। एक ओर भगवान भोलेनाथ परिवार सहित विराजे है। वहीं प्रहरी के रूप में हनुमान महाराज बाहर खड़े हुए है। कलकल करता झरना पूरे मन्दिर क्षेत्र के वातावरण को आनन्दित कर रहा है। मान्यता है कि प्राचीन बरबासन धाम पर पहुँचकर श्रद्धाभाव और विश्वास से माँगा गया वरदान प्राप्त हो जाता है। यही वजह है कि वरदान देने वाली देवी को श्रद्धालु बरबासन देवी के नाम से पुकारते है। यहाँ पहुँचने वाले श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए मन्दिर का समय-समय पर विकास कर लिया गया। वर्ष 2003 में माता की स्थापना जगतगुरू रामानन्दाचार्य ओमकारेश्वर वालों के निर्देशन में हुई थी। जगदगुरू के निर्देशन में हुए विकास कार्य और धार्मिक अनुष्ठान किए गए। आज इस स्थान पर श्रद्धालुओं का ताँता लगा रहता है। बरबासन धाम पर ललितपुर, सागर, बीना, भोपाल, खुरई, इन्दौर, उज्जौन, झाँसी आदि शहरों से आते है। ललितपुर जिले के आला अधिकारी के अलावा मंत्री-विधायक आदि भी पहुँचते है।

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कल्पवृक्ष से मिलता है औषधीय लाभ

मन्दिर के पास स्थित प्राचीन वृक्ष कल्पवृक्ष के नाम से जाना जाता है। इस वृक्ष में ही ग्यारह वृक्ष है, जो सभी औषधियों के रूप में प्रयोग में आते है। कल्पवृक्ष को देखकर मन को आनन्दमयी शान्ति प्राप्त होती है।

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कुण्ड का जल है चमत्कारी

बरबासन धाम मन्दिर के पास दो प्राचीन कुण्ड भी बने हुए है। मान्यता है कि इन कुण्डों का पानी पीने से ब्लड प्रेशर, शुगर, टीबी, लकवा जैसी गम्भीर बीमारियाँ ठीक हो जाती है। माना जाता है कि कुण्डों में आ रहा पानी क्षेत्र में लगी जड़ीबूटियों से होकर आता है। यही वजह है कि कुण्डों का पानी चमत्कारी है।

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वर्ष भर होते है आयोजन

बरबासन धाम पर वर्षभर कार्यक्रम चलते रहते है। वर्ष में दोनों नवरात्र पर जवारे बोये जाते है। नवरात्र के दिनों यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। नवरात्र की अष्टमी और नवमी पर भव्य कन्याभोज और भण्डारा होता है। प्रतिवर्ष गर्मियों में निशुल्क सर्वजातीय कन्या विवाह आयोजित होते है। जिसे राष्ट्रीय संत भैयाजी की प्रेरणा से परमार्थ आश्रम इलाहाबाद द्वारा कराया जाता है। इसके अलावा यहाँ पर लोग शादियाँ करने आते है।

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ठहरने के लिए स्थान

बरबासन धाम पर ठहरने के लिए धर्मशाला है। यहाँ श्रद्धालुओं को ठहरने का स्थान प्राप्त हो जाता है। वहीं भोजन के लिए मन्दिर समिति द्वारा व्यवस्था कराई जाती है। मन्दिर की देखरेख जगदगुरू रामानन्दाचार्य के बाद उनके शिष्य हनुमानदास महाराज द्वारा की जा रही है। मन्दिर अध्यक्ष सुनील कुमार सीरौठिया पूर्व विधायक बीना है, जबकि प्रबन्धक रामगोपाल देवलिया है।


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