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बदबू मार रहे मूत्रालय, पानी की टकियाँ सूखीं

ललितपुर ब्यूरो : स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में शहर की ग्रेडिग बढ़ाने में भले ही नगरपालिका अमला जुटा हु

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Jan 2018 01:49 AM (IST)Updated: Mon, 08 Jan 2018 01:49 AM (IST)
बदबू मार रहे मूत्रालय, पानी की टकियाँ सूखीं
बदबू मार रहे मूत्रालय, पानी की टकियाँ सूखीं

ललितपुर ब्यूरो : स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में शहर की ग्रेडिग बढ़ाने में भले ही नगरपालिका अमला जुटा हुआ हो और प्रचार-प्रसार के साथ ही होर्डिग्स के नाम पर लाखों रुपया खर्च भी कर दिया हो, लेकिन धरातल पर काम नजर नहीं आ रहा है। एक ओर जहाँ शहर के मूत्रालय बदबू मार रहे है तो वहीं मूत्रालयों पर रखी पानी की टकियाँ भी सूख गई है। मूत्रालयों के आसपास जबरदस्त गन्दगी फैली हुई है, जिसके चलते राहगीरों के साथ ही आसपास के दुकानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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इन दिनों स्वच्छता सर्वेक्षण के होने वाली शहर की ग्रेडिग में सुधार को लेकर नगरपालिका ने पूरी ताकत झोंक दी है। इसके बावजूद तमाम कमियाँ है, जिनकी तरफ पालिका के अफसरों का ध्यान नहीं है। शहरवासियों को जनसुविधायें उपलब्ध कराना नगरपालिका की जिम्मेदारी है, लेकिन पालिका जनता के प्रति इस महत्वपूर्ण जवाबदेही में असफल साबित होती नजर आ रही है। लोगों की सुविधा के लिये पालिका प्रशासन द्वारा जगह-जगह मूत्रालय तो बनवा दिये, लेकिन रखरखाव के अभाव में इनकी हालत बद से बदतर होती जा रही है। शहरवासियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुये प्रमुख चौराहों और स्थानों पर नगरपालिका द्वारा मूत्रालयों का निर्माण कराया गया था। उस दौरान मूत्रालय के ऊपर पानी की टकी भी रखवाई गई थी, जिनका कनेक्शन पाइप लाइन से या फिर हैण्डपम्प से कर दिया गया था। टकी रखे जाने के कुछ दिन तक तो स्थिति ठीक-ठाक रही और टंकी से पानी की आपूर्ति होती रही। सफाई कर्मचारी भी नियमित रूप से साफ-सफाई को आने लगे लिहाजा मूत्रालय के आसपास पर्याप्त सफाई बनी रही, लेकिन कुछ दिन बाद ही स्थिति जस की तस होने लगी। यदि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देखा जाये तो मूत्रालयों के आसपास जबरदस्त गंदगी फैली हुई है, जिसके कारण राहगीरों के अलावा आसपास दुकान लगाये बैठे दुकानदारों को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालाँकि नगरपालिका द्वारा मूत्रालयों की सफाई की बात तो कही जा रही है लेकिन हालात हकीकत बयाँ कर रहे है। मूत्रालय की गंदगी से तो कईयों की दुकानदारी भी प्रभावित हो रही है। तकरीबन दो वर्ष पूर्व तत्कालीन मण्डलायुक्त जब भी ललितपुर आये तो उन्होंने शहर भ्रमण कर मूत्रालयों का जायजा जरूर लिया। यही वजह रही कि उस दौरान मूत्रालयों के आसपास साफ-सफाई भी रहती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। आलम यह है कि स्वच्छता सर्वेक्षण शुरू होने वाला है और शहर के शौचालयों की स्थिति गड़बड़ है।

ईसाई मिशन चर्च के सामने जीआइसी परिसर से सटा हुआ सड़क किनारे मूत्रालय बना हुआ है। इसके ऊपर पानी की टकी भी रखी हुई है, लेकिन जब यहाँ टकी रखी गई थी तब तो पानी आता था, लेकिन अब हालात बिगड़ गये है। टकी तक हैण्डपम्प के जरिये पानी पहुचाये जाने की व्यवस्था थी, लेकिन हैण्डपम्प खराब होने के कारण व्यवस्था गड़बड़ा गई और अब स्थिति यह है कि पानी की टकी सूखी है। यही वजह है कि मूत्रालय बदबू मार रहा है तो वहीं इसके पीछे की तरफ जबरदस्त गन्दगी फैली हुई है। यहाँ वाहन सुधारने वालों को भी मूत्रालय की बदबू से रोजाना दो-चार होना पड़ता है। पुरानी तहसील चौराहा पर बने महिला पेशाबघर का इस्तेमाल तो लोगों द्वारा किया जाता है लेकिन ऐसा करने से पहले उन्हे अपनी नाक को बंद रखना पड़ता है। इसकी वजह यह है कि मूत्रालय के पास बनी नाली गंदगी से अटी पड़ी है। पानी निकासी नहीं होने के कारण नाली गंदगी से बजबजा रही है। ऐसी स्थिति के बावजूद आसपास लोग दुकान लगाकर बैठे है। पेट की खातिर लोग बदबू के बीच दुकान चलाने को मजबूर है। दुकान संचालकों का कहना है कि वर्षो हो गये बदबू की समस्या झेल रहे है। कई चेयरमैन आये और चले गये लेकिन समस्या का स्थाई समाधान नहीं निकाल पाये। यहाँ पानी की टकी खाली पड़ी रहती है। इसके चंद कदमों की दूरी पर सुपर मार्केट के सामने भी मूत्रालय बना हुआ है यहाँ भी हालात बहुत ज्यादा अच्छे नहीं है। मूत्रालय जाने से पहले लोगों को नाले के ऊपर उखड़ी फर्शियों से बचना पड़ता है। मूत्रालय में लगे यूरीनल पॉट ही गायब हो गये है। पानी की टकी तो यहाँ भी रखी हुई है लेकिन शोपीस साबित हो रही है। कलेक्टरेट चौराहा पर बने शौचालय की है। टकी के पानी में महीनों से पानी नहीं भरा, जबकि इसका इस्तेमाल नियमित रूप से किया जा रहा है। इसके चलते भारी बदबू फैल रही है। कमोबेश ऐसे ही हालात अन्य मूत्रालयों के भी है। सवाल उठता है कि आखिर नगरपालिका द्वारा शहर के मूत्रालयों की साफ-सफाई की तरफ ध्यान क्यों नहीं दिया जा रहा है।

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सुधरने की बजाय खराब न हो जाये रैंकिंग

शहर को साफ-सुथरा रखने के नाम पर नगरपालिका द्वारा हर माह लाखों रुपये खर्च किये जाते है बावजूद इसके स्थिति में अपेक्षाकृत सुधार देखने को नहीं मिल रा है। एक ओर जहाँ नालियाँ गंदगी से अटी पड़ी है तो वहीं शौचालय भी बदबू मार रहे है। देश भर में स्वच्छता सर्वेक्षण शुरू हो गया है और किसी भी दिन स्वच्छता की टीम जनपद में डेरा डाल सकती है। बीते वर्ष देश भर के 500 शहरों में ललितपुर को 320वाँ स्थान मिला था यदि यही हाल रहे तो रैंकिंग सुधरने की बजाय और खराब हो सकती है।

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व्यथा सुनाने से भी डरते है दुकानदार

शहर में जिन स्थानों पर मूत्रालय बने हुये हैं, उनके आसपास बड़ी संख्या में लोग दुकान लगाकर रोजी-रोटी की व्यवस्था करते है। ऐसे दुकान संचालक गंदगी और बदबू से त्रस्त तो है लेकिन अफसरों का भय इतना है कि वह मुंह खोलने से बचते हैं। उन्हे इस बात का भय सताता है कि कहीं कुछ कह दिया तो ऐसा नहीं कि उन्हे दुकान लगाने के लिये ही प्रतिबंधित कर दिया जाये। यही वजह है कि लोग परेशान होने के बाद भी कुछ भी कहने से डरते है।


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