300 दिन के कामकाज की समीक्षा में झादीताल पर हिदायत
जिसकी वजह से वन्यजीवों का रुख पानी की ओर होता है। झादीताल ऐसा इलाका है जहां पर पानी की कोई कमी नहीं होती और हिरन व बारहसिघा ताल के किनारे बने रहते हैं। शाकाहारी वन्यजीवों की मौजूदगी के कारण भोजन की तलाश में बाघ भी अक्सर इस इलाके में देखे जाते हैं। कार्यशाला में दुधवा के कुछ चिहित रेंजों के अधिकारी और चुनिदा अफसर बुलाए गए थे। जिन्हें बताया गया कि गर्मी का मौसम वन्यजीवों को बचाने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। इसमें जंगल में आग लगने के कारण वन्य जीवों की खाद्य श्रंखला भी प्रभावित होती है। इसके साथ वन्यजीवों के लिए बेहद महत्वपूर्ण पानी की समस्या भी रहती है। अधिकारी ध्यान दें कि झादीताल में शिकारी गिरोह न सक्रिय हो जाए और दुधवा प्रशासन की मेहनत पर पानी फिर जाए इसलिए जरूरतों के मुताबिक हर प्रक्रिया को आगे बढ़ाते रहें। एफडी ने कार्यशाला में 300 दिनों के अंदर हुए कार्यों पर संतोष जताया साथ ही उन्होंने अधिकारियों का हौंसला भी बढ़ाया।
लखीमपुर : गर्मी के दिनों में वन्यजीव अक्सर पानी की तलाश में आबादी क्षेत्र में या शारदा नदी के किनारे बसे गांव में ठिकाना बनाते हैं। यह समस्या अक्सर मानव वन्यजीव संघर्ष का कारण बनते हैं। रविवार को इसपर दुधवा में आयोजित कार्यशाला में 300 दिनों के अंदर किए गए कार्यों की समीक्षा के साथ ही किशनपुर के झादीताल पर विशेष फोकस किया गया। खासकर अप्रैल, मई, जून में पानी की समस्या पर बातचीत हुई। फील्ड डायरेक्टर रमेश पांडे ने निर्देश दिया कि अक्सर गर्मी में दुधवा पार्क इलाके के छोटे ताल तलैया सूख जाते हैं। जिसकी वजह से वन्यजीवों का रुख पानी की ओर होता है। झादीताल ऐसा इलाका है जहां पर पानी की कोई कमी नहीं होती और हिरन व बारहसिघा ताल के किनारे बने रहते हैं। शाकाहारी वन्यजीवों की मौजूदगी के कारण भोजन की तलाश में बाघ भी अक्सर इस इलाके में देखे जाते हैं। कार्यशाला में दुधवा के कुछ चिन्हित रेंजों के अधिकारी और चुनिदा अफसर बुलाए गए थे। जिन्हें बताया गया कि गर्मी का मौसम वन्यजीवों को बचाने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। इसमें जंगल में आग लगने के कारण वन्य जीवों की खाद्य श्रंखला भी प्रभावित होती है। इसके साथ वन्यजीवों के लिए बेहद महत्वपूर्ण पानी की समस्या भी रहती है। अधिकारी ध्यान दें कि झादीताल में शिकारी गिरोह न सक्रिय हो जाए और दुधवा प्रशासन की मेहनत पर पानी फिर जाए इसलिए जरूरतों के मुताबिक हर प्रक्रिया को आगे बढ़ाते रहें। एफडी ने कार्यशाला में 300 दिनों के अंदर हुए कार्यों पर संतोष जताया साथ ही उन्होंने अधिकारियों का हौसला भी बढ़ाया।