हिसक हो रहे वन्यजीव, लकीर पीट रहा महकमा
महेशपुर भीरा और धौरहरा रेंज में बढ़ रहीं हिसक घटनाएं। ऐसे में आए दिन कभी तेंदुआ तो कभी बाघ इंसानों को अपना निशाना बना रहा है।
लखीमपुर : एक तरफ जहां महेशपुर रेंज में जंगल से निकलकर बाघ खेतों और कठिना नदी की कछार में चहल कदमी कर रहे हैं, वहीं धौरहरा में घाघरा की कछार से जंगली जानवर निकलकर आबादी में घुस रहे हैं।
जानकार कहते हैं कि यह सारा किस्सा वन विभाग की लापरवाही से हो रहा है। वन्यजीवों के ठिकानों के प्राकृतिक इंतजाम करने की ओर विभाग का ध्यान नहीं है। ऐसे में आए दिन कभी तेंदुआ तो कभी बाघ इंसानों को अपना निशाना बना रहा है। धौरहरा वन रेंज और महेशपुर रेंज ही नहीं, मैलानी वगैरह में भी हालात कुछ ऐसे ही हैं। मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही हैं।
धौरहरा व महेशपुर में ये हुईं घटनाएं
- ईसानगर ब्लाक की कैरातीपुरवा, बेलागढ़ी और ओझापुरवा जंगली जानवरों के कहर का अक्सर शिकार होती है।
- पांच महीने पहले कैरातीपुरवा के नीरज, रामू, पंकज व सतीश त्रिवेदी को तेंदुए ने घायल कर दिया था जब वह खेत मे काम कर रहे थे।
- बेलागढ़ी के मजरा गुजारा मे तेंदुआ तीन गाय मारने के बाद मनोज (12) पुत्र राजाराम को उठा ले गया था।
- इसी गांव के दूबरि व उसके पोते मुलायम को तेंदुआ घायल कर दिया।
- मांझासुमाली गांव मे घर के अंदर घुसे तेंदुए ने जुबेर (8) व सोनम (6) को बुरी तरह घायल कर दिया था।
- गुजारा पुरवा के परवन को तेंदुआ घायल किया
- महेशपुर रेंज के देवीपुर बीट के सुंदर पुर निवासी सुशील गुप्ता पर बाघ ने हमला किया था। - 10 अगस्त को लीलापुर निवासी सोबरन लाल वर्मा को गन्ने की पत्ती तोड़ते समय तेंदुए ने घायल किया - 16 सितंबर 20 की शाम को बाघ बिहारी पुर के पास रोड पर निकला महेशपुर रेंज के ये हैं खतरनाक इलाके
जमुनहा घाट, बिहारीपुर, पन्नापुर, लीलापुर, अयोध्यापुर, सुंदरपुर, गंगापुर, मोठी खेड़ा, प्रवस्त नगर, दुलीपुर, शहजनिया आदि स्थानों पर तीन माह में पगचिह्न मिलने, करीब एक दर्जन पशुओं को निवाला बनाने, तथा सामने आने की घटनाएं आम हो चुकी हैं। जिम्मेदार की सुनिए बाघ गन्ने को बड़ी घास समझकर अपना आशियाना बना लेते हैं। शाकाहारी पशु जैसे जंगली सुअर, चीतल, नील गाय, गौवंशीय पशु आदि आसानी से बाघों को शिकार के लिए खेतों में मिल जाते हैं। जंगल के किनारे तक होने बाली गन्ने की फसलों के जरिए उनका भटकाव हो जाता है। गन्ने में पड़कर वह लंबा सफर तय कर दूर-दूर तक गांवों और आबादी तक पहुंच जाते हैं।
रविशंकर शुक्ला
एसडीओ