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सूखे पड़े नहर और माइनर, कैसे हो रबी की बुवाई

लखीमपुर : इस पानी की भी अजब कहानी है अभी कुछ महीने पहले तक लगभग दो तिहाई जिले में पानी क

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 11:23 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 11:23 PM (IST)
सूखे पड़े नहर और माइनर, कैसे हो रबी की बुवाई
सूखे पड़े नहर और माइनर, कैसे हो रबी की बुवाई

लखीमपुर : इस पानी की भी अजब कहानी है अभी कुछ महीने पहले तक लगभग दो तिहाई जिले में पानी की अधिकता ने तबाही मचा रखी थी। कहीं घरों में तो कहीं खेतों में घुसता बेशुमार पानी लोगों को तबाह कर रहा था। मगर अब हालत यह है कि किसान एक एक बूंद पानी को तरसता है नहर या माइनर या नदी कहीं पर भी बूंद पानी भी नजर नहीं आ रहा। माइनर नहर झाड़, झंकार से पटे पड़े है और रबी की बुवाई के लिए किसान ¨सचाई के लिए मुंह बाए खड़े हैं। सरकारी नलकूप कहीं टूटे हैं, हैं तो वहां ऑपरेटर ही नहीं है। गेहूं की बोवाई होनी है। इसके अलावा सरसों, मेथी, टमाटर, गाजर और मूली समेत शाकभाजी और दलहनी फसलों को बोया जाना है। पेड़ी गन्ना को काटकर किसान गेहूं के लिए किसान खेत तैयार करेगा। सूखी नहरों की तस्वीर पेश करती आज की दैनिक जागरण की आंखों देखी रिपोर्ट।

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गोमती में भी पानी की कमी से ¨सचाई हो रही प्रभावित

मोहम्मदी : गोमती नदी के आसपास उन दर्जनों गांवों के किसान जिनकी खेती इस नदी पर निर्भर है, उन किसानों को भी नदी के दिन पर दिन सिकुड़ने के कारण अपनी फसलों की ¨सचाई की ¨चता सताने लगी है। दिलावरपुर, बरेठी, मडैया, गौरिया, रामालक्ष्ना, दयानतपुर, गौरिया, हजरतपुर सहित दर्जनों गांवों के किसानों को इसी नदी के पानी की खेती के लिए आवश्यकता होती है, नदी के सिकुड़ने के कारण जल स्तर भी काफी कम हो गया है। नदी की सफाई न होने व घटते जल स्तर से पानी की किल्लत दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

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सिल्ट सफाई न होने से बढ़ी समस्या

पिपरझला : रजबहा कस्ता से निकलने वाले माइनर दो वर्षों से सिल्ट सफाई ना होने के कारण माइनरों में जल आपूर्ति पूर्णरूप से बाधित है। पानी ना आने के कारण किसानों को काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। सरैंया, दतेलीकला, पचदेवरा, अबगांवा, हरिहरपुर, धनपुर, ओड़हरा आदि गांवों की फसल की ¨सचाई माइनरों से होती थी। दतेलीकलां निवासी किसान सुधीर शुक्ला बताते हैं पिछले चार वर्षों से माइनर दतेली कला में पानी नहीं आया है।

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सूख गई शारदा ¨सचाई नहर

निघासन : सुहेली नदी से निकली शारदा ¨सचाई नहर जो कि तहसील क्षेत्र के बौधिया, खैरहना, बम्हनपुर, दुबहा, चखरा, लुधौरी, निघासन, रकेहटी, ढखेरवा खालसा, दरेरी, बैरिया, पढुआ सहित करीब दो दर्जन से अधिक ग्राम पंचायतों से होकर कर गुजरती है। तकरीबन दो माह से नहर में पानी नहीं आया। जिससे लाही, आलू, मटर, केला आदि फसलों की ¨सचाई नही कर पा रहे है।

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क्या कहते हैं जिम्मेदार

¨सचाई विभाग शारदा नगर अवर अभियंता प्रमोद कुमार रावत ने बताया कि सुहेली नहर में इस समय पानी नहीं ह । नहर का क्लोजर समय है। अगले माह के प्रथम सप्ताह में पानी छोड़ा जाएगा।.

सूखी नहरों से कैसे ¨सचाई करे किसान

पलियाकलां : प्रदेश सरकार की नि:शुल्क ¨सचाई योजना पर •िाम्मेदार पानी फेरते न•ार आ रहे हैं। ¨सचाई के लिए बनाई गई नहरें और माइनर अनदेखी का शिकार हैं। उनकी नियमित सफाई तक नहीं की जाती। इस समस्या को हल करने में अधिकारी और जनप्रतिनिधि नाकाम साबित हो रहे हैं।

पलेवा तक के लिए नहीं मिल रहा पानी

बिजुआ : बसतौली से अलीगंज के आगे तक जाने वाली नहर में पानी न होने से किसानों को अब गेहूं की बुवाई के समय मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। नहरें सूखी हैं और किसान पलेवा के लिए पानी न मिलने से बेहाल हैं। महज एक चौथाई से भी कम गेहूं की बुवाई हो पाई है। रबी फसल को लेकर प्रशासनिक तैयारियों के दावे बेशक हों, लेकिन जमीनी हकीकत किसानों को रुला रही है। नहरों से ¨सचाई को प्रदेश सरकार ने मुफ्त कर रखा है। किसान अपने निजी संसाधनों से यदि खेतों में पानी भरता भी है तो उसे महंगे डीजल की मार झेलनी पड़ती हैं। नहरों में पानी ना होने से बिजुआ, बस्तौली, रामनगर, दंबल टांडा, बजेहडा, शाहपुर, गडरियन पुरवा, रंजीत नगर, मोहन पुरवा, गो¨वदा पुरवा, अलीगंज आदि गांव प्रभावित हैं। सूखी नहर, लंबी झाड़ियां किसान मायूस

भीरा : अलीगंज मुख्य नहर से निकले एक दर्जन के आसपास माइनर और छोटी नहरों की साफ सफाई ना हो पाने से सिल्ट और झाड़ी जंगल से पट गई हैं। अंबारा, बीबीपुर, रत्नापुर, पकरिया, बस्तोला ब्रांच नहर की सफाई नही कराई गई है। ग्राम प्रधान इटकुटी सुमेर¨सह, प्रगतिशील किसान जसकरण ¨सह का कहना है जब किसानों को पानी की जरूरत होती है तो वह नहरों की और देखते हैं लेकिन सूखी नहरें देख मायूस होना पड़ता है।

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40 वर्षों से पानी के अभाव में सूखा पड़ा सुहेली माइनर

ढखेरवा : सुहेली नदी से निकला बड़ा माइनर जोकि पिछले कई महीनों से पानी के अभाव में सूखा पड़ा हुआ है। यह माइनर निघासन को जोड़ते हुए पड़वा, रमियाबेहड़ और नैनापुर होते हुए घाघरा नदी में मिला हुआ है। इस माइनर से गांव सिसैया, सेमरा बाजार, पड़वा, प्रसाद पुरवा, कुसहा, ढखेरवा, लखनियापुर, लखनपुरवा, रमियाबेहड़, चंद्रपुरा, अभयपुर, नैनापुर, खेसवाही, जोधापुरवा, गुलरिया आदि दर्जनों गांवों के किसान ¨सचाई के अभाव में मायूस हैं। सुहेली बड़े माइनर से गांव प्रमोदापुर के पास से निकले गोरिया रजबहा की खुदाई 40 वर्ष पूर्व हुई थी। जिसमें अभी तक कभी पानी ही नहीं छोड़ा गया है और ना ही इसकी सफाई आदि का कार्य कराया गया है। इस रजबहा से गांव चचरापूर्वा, खरवाहिया नंबर दो, गोरिया, दुलही तथा केदारी पुरवा व रायपुर समेत दर्जनों गांव के किसान ¨सचाई के अभाव में मायूस हैं।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

¨सचाई विभाग के अधिशासी अभियंता डीसी वर्मा ने बताया की माइनर जगह-जगह पर कट चुके हैं। जिस कारण पानी की सप्लाई नहीं दी जा रही है।

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सूखी पड़ी ब्रांच नहर

बांकेगंज : खीरी ब्रांच नहर व सीतापुर ब्रांच नहर में सिल्ट की सफाई कई वर्षों से नहीं हुई है। उसके बावजूद भी लगभग तीन सप्ताह से खीरी ब्रांच नहर व सीतापुर ब्रांच नहर में पानी नहीं छोड़ा गया है। जिसके कारण किसानों को टयूबवेल का सहारा लेना पड़ रहा है। खीरी ब्रांच नहर पर राजनगर, स्टेशनपुरवा, मोतीपुर, टीकापुर, भुपपुर सहित अनेक गांव के किसान खेती करते हैं। सीतापुर ब्रांच नहर पर बांकेपुर, दौलतपुर, देवीपुर, गुलाबनगर सहित आदि गांवों के लोगों खेतीबाड़ी करते हैं।


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