नेपाली जंगली हाथियों के दो दल पहुंचे दुधवा टाइगर रिजर्व
नेपाल के रायल शुक्लाफांटा सेंचुरी से निकलकर जंगली हाथियों के दो दल दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगलों में पहुंच गए हैं। यहां उन्होंने उत्पात मचाना भी शुरू कर दिया है।
लखीमपुर: भोजन व वासस्थल की कमी से जूझ रहे नेपाली जंगली हाथियों का रुख दुधवा टाइगर रिजर्व की ओर है। नेपाल के रायल शुक्लाफांटा सेंचुरी से निकलकर जंगली हाथियों के दो दल दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगलों में पहुंच गए हैं। यहां उन्होंने उत्पात मचाना भी शुरू कर दिया है।
नेपाल के जंगलों में ग्रासलैंड कम होने से वहां के जंगली हाथी हर साल शारदा नदी पार करके दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगलों में आ जाते हैं। कई महीने यहां रुकने के बाद बरसात का सीजन शुरू होने से पहले नेपाल लौट जाते हैं। कभी-कभी जंगली हाथियों का कोई दल, जिसे पार्क की आबोहवा ज्यादा पसंद आ जाती है तो वह यहां रुक भी जाता है। दुधवा में जंगली हाथियों के दो दल इस तरह के हैं जो करीब चार साल से यहीं बने हुए हैं। प्रत्येक दल में 30 से 35 हाथी हैं।
दरअसल दुधवा की विभिन्नता व ग्रासलैंड नेपाली जंगली हाथियों को आकक्षित करता है। यहां के जंगल में वे सुरक्षित भी महसूस करते हैं। यही कारण है कि नेपाल के जंगली हाथी हर साल सैकड़ों किलोमीटर का दुरुह सफर तय करके दुधवा आते हैं। नेपाल के शुक्लाफांटा से लग्गा भग्गा क्षेत्र होकर ये हाथी पीलीभीत जिले के हरीपुर रेंज से होकर खीरी जिले की किशनपुर सेंचुरी में प्रवेश करते हैं और यहां विचरण करते हुए खुटार तक पहुंच जाते हैं। इसके अलावा कुछ जंगली हाथी शुक्लाफांटा जंगल से होकर कीरतपुर होते हुए सठियाना रेंज में आते हैं और फिर वहां से दुधवा होकर पूरे जंगल में विचरण करते हैं। इस मार्ग से आने वाला दल ही आगे बढ़कर निघासन व बेलरायां रेंज होकर कभी कतर्नियाघाट निकल जाता है तो कभी धौरहरा तक पहुंच जाता है।
सितंबर महीने में नेपाली जंगली हाथियों के दो दलों के दुधवा आने की जानकारी वन विभाग को है। विभागीय कर्मी हाथियों पर नजर भी रख रहे हैं। पर यह हाथी एक दिन में 15 से 20 किलोमीटर का सफर तय करके इधर-उधर निकल जाते हैं। नेपाल से आए हाथियों का एक दल गुरुवार तक बेलरायां रेंज में मौजूद था और किसानों की फसलों को नुकसान भी पहुंचा रहा था लेकिन, शुक्रवार को उनके बहराइच जिले के जंगल में प्रवेश कर जाने की सूचना है। दूसरा दल अभी जंगल के भीतर है। दो दिन पहले उनकी लोकेशन सलूकापुर रेंज में पाई गई थी।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
पार्क के वार्डन एसके अमरेश ने बताया कि वे अवकाश पर हैं, लेकिन नेपाली जंगली हाथियों के दुधवा में आने की बात सही है। यह हाथी हर साल आते हैं। दुधवा भी उन्हें अपने घर जैसा लगता है। यह बात भी सही है कि हाथी किसानों के फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं पर उनसे जंगल की जैवविविधता बढ़ती है जो अधिक महत्वपूर्ण है।