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नेता जी ने लखीमपुर में दिया था छापामार युद्ध का प्रशिक्षण

लखीमपुर : आजादी के आंदोलन में जहां एक तरफ नरम दल ने जिले में जनसभाएं की थीं वहीं गरम दल क

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Aug 2018 11:51 PM (IST)Updated: Sun, 05 Aug 2018 11:51 PM (IST)
नेता जी ने लखीमपुर में दिया था छापामार युद्ध का प्रशिक्षण
नेता जी ने लखीमपुर में दिया था छापामार युद्ध का प्रशिक्षण

लखीमपुर : आजादी के आंदोलन में जहां एक तरफ नरम दल ने जिले में जनसभाएं की थीं वहीं गरम दल के नेता सुभाष चंद्र बोस ने फारवर्ड ब्लाक की स्थापना के बाद जिले में अपने समर्थकों को युद्ध का प्रशिक्षण भी दिया था।

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गोला गोकर्णनाथ के अलावा जिला मुख्यालय पर भी जनसभाओं में नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने कहा था कि आजादी हड़ताल या अ¨हसा के रास्ते से नहीं क्रांति से मिलती है। उसके लिए बलिदान देने की जरूरत होती है। खीरी जिले की धरती आजादी के आंदोलन के दौरान नेता जी सुभाष चंद्र बोस जैसे क्रांतिवीरों की भी साक्षी रही है जिन्होंने तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा' के संकल्प के साथ जिले को भी आजादी के आंदोलन से जोड़ा था।

नेता जी सुभाष चंद्र बोस के बारे में अखिल भारतीय सुभाषवादी जनता संगठन के विद्यासागर शर्मा बताते हैं कि 1940 में नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने जिला मुख्यालय के मेला मैदान में जनसभा की थी जिसमें हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ी थी और नेता जी ने कहा था कि आजादी क्रांति से मिलती है और इसके लिए बलिदान देने की जरूरत है। इसके अलावा जिले के इतिहासकार डा. रामपाल ¨सह भी बताते हैं कि 1939 में जब कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सुभाष चंद्र बोस चुनाव जीते तो गांधी जी इस पर नाराज हुए क्योंकि वे पट्टाभि सीतारमैया को अध्यक्ष बनाना चाहते थे। अ¨हसा में विश्वास रखने वाले गांधी नेता जी की अध्यक्षता को संकट समझते थे इसलिए उन्होंने नेता जी का घोर विरोध किया और सुभाष चंद्र बोस ने गांधी जी का विरोध देखकर कांग्रेस अध्यक्ष पद से त्याग पत्र देकर फारवर्ड ब्लाक का गठन कर लिया। जिले से इसमें बड़ी संख्या में युवा शामिल हुए थे। इस दौरान जब वे 22 जून 1940 को लखीमपुर आए तो युवाओं ने पूरे उत्साह के साथ उनका स्वागत किया। नेता जी ने दुधवा-गौरीफंटा के बीच घने जंगलों में नेपाल राष्ट्र सीमा के पास छापामार युद्ध का भी प्रशिक्षण दिया था।


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