शहर में नहीं दिखती यातायात पुलिस
व्यवस्था को बेहतर बनाने का जिम्मा यातायात पुलिस पर है पर शहर में कहीं भी यातायात पुलिस के जवान नजर नहीं आते। अगर कोई सवाल उठाए तो स्टाफ की कमी का रोना रो दिया जाता है।
लखीमपुर : शहर में बदहाल यातायात व्यवस्था लोगों क लिए नासूर बनती जा रही है। व्यवस्था को बेहतर बनाने का जिम्मा यातायात पुलिस पर है, पर शहर में कहीं भी यातायात पुलिस के जवान नजर नहीं आते। अगर कोई सवाल उठाए तो स्टाफ की कमी का रोना रो दिया जाता है, पर अहम सवाल ये है कि कि क्या स्टाफ की कमी सिर्फ शहर के लिए है। शहर से बाहर हाईवे पर ही दिन भर यातायात पुलिस ड्यूटी देती नजर आती है। इसके पीछे अवैध वसूली के भी आरोप लगते रहे हैं, पर व्यवस्था दुरुस्त करने की जिम्मेदारी जिस निजाम पर है, वह पूरी तरह से सुस्त बना है। होमगार्डों के सहारे पूरी व्यवस्था
शहर में यातायात नियमों की अनदेखी तो आम बात है ही, जाम की भी भीषण समस्या है। सड़कों कि किनारों पर आड़े-तिरछे खड़े ऑटो व ई रिक्शा पूरी व्यवस्था को ही चौपट कर रहे हैं। शहर में बाइकों पर ट्रिपल राइडिग और बिना हेलमेट लगाए फर्राटा भरने का भी चलन अब तक खत्म नहीं हो पाया है। इसका सबसे बड़ा कारण यातायात पुलिस का शहर में कहीं नहीं दिखना है। शहर का कोई भी चौराहा हो या अन्य भीड़भाड़ वाली जगहें, ट्रैफिक व्यवस्था को संभालने का जिम्मा होमगार्डों के सहारे हीे छोड़ दिया गया है। ट्रैफिक पुलिस में है सिर्फ पांच लोगों का स्टाफ
जिले में ट्रैफिक पुलिस में स्टाफ की जबरदस्त कमी है। तकरीबन 44 लाख की आबादी वाले इस जिले में ट्रैफिक पुलिस के सिर्फ पांच कारिदे हैं। इसमें एक टीएसआइ, एक एचसीपी, दो हेड कांस्टेबल व एक कांस्टेबल यहां तैनात हैं। इसके अलावा 65 होमगार्ड व 10 पीआडी जवान सहयोग के लिए मिले हैं। हालांकि यातायात पुलिस के जवान ज्यादातर शहर के बाहर हाईवे पर ही ड्यूटी देते हैं। जिम्मेदार की सुनिए
ट्रैफिक पुलिस में स्टाफ की कमी पूरी करने को बराबर शासन को लिखा-पढ़ी की जा रही है। शहर में यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए जल्द ही ई रिक्शा व ऑटो रिक्शा की नंबरिग कराई जाएगी। साथ ही सड़कों के किनारे और दुकानों के आगे लाइनें बनवाई जाएंगी, जिनके अंदर ही ऑटो, ई रिक्शा व अन्य वाहन खड़े किए जा सकेंगे।
संजय नाथ तिवारी, सीओ ट्रैफिक।