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टूरिस्ट जोन बनने की राह पर पलिया का बंशीनगर

पलिया कलां (लखीमपुर): दुधवा टाइगर रिजर्व की गोद में बसा बंशीनगर गांव आज तेजी से विकसित हो

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 11:24 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 11:24 PM (IST)
टूरिस्ट जोन बनने की राह पर पलिया का बंशीनगर
टूरिस्ट जोन बनने की राह पर पलिया का बंशीनगर

पलिया कलां (लखीमपुर): दुधवा टाइगर रिजर्व की गोद में बसा बंशीनगर गांव आज तेजी से विकसित हो रहा है। इस गांव के आस पास कई रिजार्ट, टूरिस्ट प्लेस और पर्यटन विभाग का गेस्ट हाउस बनने से यहां के लोगों की पौ बारह हो गई। बाहरी लोग आए तो रोजगार के अवसर बढ़े और आज यहां के लोग दुधवा में गाइड, जिप्सी चालक के रूप में रोजगार से जुड़ गए हैं। बंशीनगर गांव की पहचान टाइगर डेन, जंगल लोर, टाइग्रीनो जैसे रिजार्ट बन चुके हैं, इनकी स्थापना के बाद ही बंशीनगर उभरकर आया और ये रिजार्ट अब इस गांव की पहचान बन चुके हैं। भले ही यहां की आबादी कम हो लेकिन इन रिजार्ट ने इस कम आबादी को रोजगार का नया जरिया जरूर सौंप दिया।

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यह है खूबी

यह गांव पलिया के पास ही है। अब तो यहां के लोगों को जरूरी चीजों के लिए पलिया भी नहीं जाना पड़ता। आवागमन का साधन बस है, जो नियमित रूप से इस रूट पर संचालित होती रहती हैं। अधिकांश लोग खेती पर ही निर्भर है और कई तो बड़े किसान भी हैं। कुछ मजदूरी करते हैं तो तमाम ऐसे हैं जिन्हें दुधवा टाइगर रिजर्व, यहां आसपास खुले रिजार्ट में नौकरी मिल गई है। चार लोग दुधवा में गाइड हैं जो यहीं के निवासी हैं। रोजगार के साधनों की कमी नहीं।

आधारभूत ढांचा

बंशीनगर, ग्राम पंचायत फरसैय्या का मजरा है। पूरी पंचायत की आबादी 5500 है। जिसमें 2100 मतदाता हैं। यहां पर पंचायत भवन, दो प्राथमिक और एक उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। गांव में सड़क पक्की नहीं है। बंशीनगर तो दुधवा रोड के किनारे ही बसा है। इलाका ऊंचा है इसीलिए यहां बाढ़ की भी समस्या नहीं है। गांव में पाइप लाइन बिछ गई है, शुद्ध पेयजल देने के लिए बो¨रग भी हो गई है। बंशीनगर के पास ही दो रिजार्ट हैं, पुलिस चौकी है और पर्यटन विभाग का भी एक गेस्ट हाउस यहां तैयार हो चुका है।

यह हो तो बने बात

गांव में शुद्ध पेयजल के इंतजाम बढि़या नहीं है। पेयजल का एकमात्र जरिया हैंडपंप ही है। हालांकि पाइप पेयजल योजना के तहत गांव में बो¨रग और पाइप लाइन बिछाई जा चुकी है लेकिन ओवरहेड टैंक का निर्माण बजट के अभाव में नहीं हो पा रहा। गांव में कब्रिस्तान, श्मशान घाट की चहारदीवारी भी नहीं हो पा रही। यहां उप स्वास्थ्य केंद्र की जरूरत महसूस हो रही है। एक अदद एएनएम सेंटर तक नहीं बनाया जा सका है। ऐसे में बच्चों, गर्भवती महिलाओं के नियमित टीकाकरण आदि में परेशानी आती है।

उपलब्धि

यह गांव विवाद रहित माना जाता है। यह परंपरा यहां के पहले प्रधान नंदलाल पाल के समय से चली आ रही है। अधिकांश विवाद गांव में ही आपसी मेलजोल व प्रधान की हस्तक्षेप से निपटा लिए जाते हैं। आबादी कम हैं और सभी शांतिप्रिय माहौल में ही रहते हैं। इसके अलावा गांव में खुले में शौच से समस्या का भी अंत होने जा रहा है। इस गांव में स्वच्छ भारत मिशन के तहत 150 शौचालय बन चुके हैं। 49 लोगों को आवास मिला है, बाकियों को इंतजार है। एक कुआं है लेकिन बंद चल रहा है। 36 हैंडपंप भी यहां लगे हुए हैं जो चालू हालत में है।

²ष्टिकोण

मौजूदा प्रधान अजीजन का कहना है कि गांव में पेयजल की समस्या है। ओवरहेड टैंक निर्माण के लिए पत्र कई बार भेजा गया लेकिन सुनवाई नहीं हो पा रही। इसके अलावा गांव में कोई समस्या नहीं है जो बजट निधि में आता है उससे जरूरी काम हो जाते हैं। शिक्षा के लिए प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। उप स्वास्थ्य केंद्र निर्माण का प्रयास चल रहा है।

पूर्व प्रधान रियाज अली मुन्ना ने बताया कि अपने कार्यकाल में गांव में खड़ंजा बिछवाया था। नाली का निर्माण हुआ जिससे जल निकासी की समस्या का अंत हो गया। लोगों की हर समस्या का त्वरित निस्तारण करने का प्रयास किया, आगे भी मौका मिलता रहा तो गांव वालों की भलाई का काम किया जाएगा।

इन पर नाज है

गांव के पहले प्रधान नंदलाल आज भी यहां निवास करते हैं और सम्मानित व्यक्ति हैं। 1982 में वे प्रधान चुने गए थे और 2000 तक प्रधान रहे। इस दौरान लोगों को पट्टे देकर यहां बसाया गया था। डीएम, एसपी यहां चौपाल लगाते थे तो प्रशंसा करते थे क्योंकि गांव विवाद रहित था। निघासन रोड से जोड़ने वाला सम्पर्क मार्ग को श्रमदान से उन्होंने जुड़वाया था।

डा. गौतम पाल आज डाक्टर है। वह बताते हैं कि उन्होंने प्राथमिक शिक्षा गांव में ही हासिल की उसके बाद पिता की इच्छा से डाक्टर बने। सीपीएमटी की परीक्षा देने के साथ ही एलएलबी में भी दाखिला लिया। इतना ही नहीं लोअर सबार्डिनेट परीक्षा पास की तो नायब तहसीलदार बनने का अवसर प्राप्त हुआ। लेकिन इन सबको पीछे छोड़ते हुए पिता जी की इच्छा के अनुरूप उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई कर डाक्टर बनने की राह चुनी।मोहम्मद नसीम दुधवा में गाइड के रूप में नियुक्त हुए। उन्होंने बंशीनगर में ही जमीन खरीदी और यहीं बस गए। आज भी दुधवा में गाइड के हैसियत से काम करते हैं। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी, चंद्रशेखर, एनडी तिवारी, अखिलेश यादव जैसी हस्तियों को जंगल भ्रमण कराया है। इसके अलावा गांव से गगन और सुधीर भी दुधवा में गाइड के रूप में कार्य करते हैं। यह दोनों भी बाहर से आने वाले विदेशियों को पार्क घुमा चुके हैं।


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