पीलीभीत-लखीमपुर की तराई में बाघ और तेंदुए की दहशत के बीच जिंदगी
बहराइच में काफी मशक्कत के बाद तेंदुए को पिंजड़े में कैद किए जाने के बाद वर्षों से तेंदुआ और बाघों की दहशत के बीच जिंदगी गुजार रहे लोगों में उम्मीद जागी है।
लखीमपुर (जेएनएन)। बहराइच में काफी मशक्कत के बाद तेंदुए को पिंजड़े में कैद किए जाने के बाद वर्षों से तेंदुआ और बाघों की दहशत के बीच जिंदगी गुजार रहे लोगों में उम्मीद जागी है। पीलीभीत और लखीमपुर तक फैले जंगल में हिंसक जीव किसानों का जीना दूभर किए हैं। लगातार तेंदुए के हमले के बाद पीलीभीत के पूरनपुर में बाघ द्वारा घर में घुसकर बैल को निशाना बनाने के बाद वन विभाग पूरी तरह बैकफुट पर है। विभाग ने तेंदुए और बाघ को पकडऩे के लिए दो अलग-अलग पिंजरे लगाए लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। लोकेशन ट्रेस करने को लेकर 10 कैमरे भी लगाए गए है लेकिन देर शाम तक बाघ व तेंदुए को नहीं पकड़ा जा सका। कहां तक कहा जाए यह हाल तो पूरे तराई इलाके का है।
डेढ़ दर्जन मवेशी बन चुके निवाला
पीलीभीत के रमनगरा में बीते दिनों बॉर्डर क्षेत्र के बूंदी भूड, कुतिया कबर, नौजलिया सहित आधा दर्जन गांव में तेंदुए का आतंक है। तेंदुए ने एक दर्जन घरों में घुसकर डेढ़ दर्जन मवेशियों को अपना शिकार बना चुका है। तेंदुए के आतंक के साथ बाघ का आतंक से तराई में हड़कंप मच गया। गुरुवार रात बाघ ने कलीनगर तहसील क्षेत्र के गांव महाराजपुर निवासी प्रेम सरदार की पशुशाला में घुसकर एक बैल को निवाला बना लिया था। मामले की सूचना पर टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर आदर्श कुमार व डब्लयू डब्लयू एफ के नरेश वर्मा ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया था।
बाघ व तेंदुए को नहीं पकड़ा जा सका
पीलीभीत के माधोटांडा में बाघ को पकडऩे के लिए वन विभाग की टीम ने बराही रेंज के कंपार्टमेंट 3 महाराजपुर बालूमेट के पास पिंजरा लगाया। इसके अलावा विभाग ने कुतिया कबर के नौजलिया नंबर 2 में तेंदुए को पकडऩे के लिए पिंजरा लगाया। देर शाम तक वन विभाग के एसडीओ प्रवीन खरे, रेंजर चंद्रभान, गिरीश चंद्र, मोहम्मद आरिफ, ओमप्रकाश कंहई लाल सहित कई वनकर्मी बाघ और तेंदुआ को पकडऩे के लिए जुटे रहे, लेकिन कामयाबी नहीं मिल सकी। हमलावर हुए बाघ व तेंदुए को नहीं पकड़े जाने पर ग्रामीण दहशत में हैं।
नेपाल से कुत्ते को खींच लाया तेंदुआ
पीलीभीत में पूरनपुर बॉर्डर सीमा से सटे कई गांव में आतंक मचाने के बाद तेंदुए ने अब नेपाल में भी दस्तक दे दी है। तेंदुआ नेपाली है या भारतीय यह साफ नहीं हो सका है। बॉर्डर क्षेत्र के आधा दर्जन गांव तेंदुए के आतंक से परेशान हैं। सीमा पर बसे नेपाली बस्ती भी तेंदुए के आतंक से अछूते नहीं हैं। नोमैंस लैंड से सटे नेपाल में रहने वाले अशोक सुनर शुक्रवार सुबह 4 बजे अपने परिजनों के साथ घर के अंदर सो रहे थे। ग्रामीण का पालतू कुत्ता घर की पहरेदारी कर रहा था। तभी बार्डर पर खड़े गन्ने के खेत से निकले तेंदुए ने नेपाल सीमा में प्रवेश कर अशोक के पालतू कुत्ते को दबोच लिया कुत्ते के चीखने-चिल्लाने पर परिजन जाग गए। शोर शराबा करने पर तेंदुआ कुत्ते को खींचता हुआ भारत सीमा में प्रवेश होकर गांव कुतिया कबर निवासी तपन बाथाड़ के गन्ने के खेत में छुप गया।
दहशत में हजारों जिंदगियां
बहराइच में काफी मशक्कत के बाद जब एक तेंदुए को पिंजड़े में कैद किया गया तो वनकर्मियों के जरिए यह जानकारी उन हजारों लोगों तक भी तेजी से फैली, जो वर्षों से आज भी तेंदुआ और बाघों के बीच जिंदगी गुजार रहे हैं। बहराइच में तेंदुआ पकड़ा गया, लेकिन लखीमपुर में हिंसक हो रहे तेंदुओं और बाघों को कब पकड़ा जाएगा यह सवाल उनके सामने खड़ा हो गया। क्योंकि यहां पहली बार दुधवा नेशनल पार्क और बफरजोन के बाहर बड़ी संख्या में तेंदुए और बाघ डेरा जमाए हुए हैं। महेशपुर रेंज के देवीपुर बीट में बाघ ने अपना प्राकृतिक आवास बना रखा है। जबकि यहां ज्यादातर इलाका खेतिहर है। वन विभाग के आंकड़े के अनुसार इस समय रेंज सात तेंदुआ व पांच बाघों की मौजूदगी की पुष्टि हुई है। इनमें अधिकांश ने जंगल के बाहर कठिना नदी के किनारे गन्ने के बड़े क्षेत्र को अपना प्राकृतिक आवास बना रखा है। इस इलाके में बाघ व तेंदुआ आए दिन नीलगाय, गाय, भैंस, बकरी को अपना निवाला बनाते हैं। वन्यजीवों का दहशत हीहै कि किसानों के कृषि कार्य, शिक्षण कार्य व दैनिक कार्य प्रभावित होरहे हैं।
हाथी आया नहीं एक्सपर्ट आ गए
डब्ल्यूटीआई ने सुंदरपुर, गमहाघाट, देवीपुर, नयागांव, बिहारीपुर, पसियापुर जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए थे। इसके अलावा निगरानी के लिएहाथी, ड्रोन कैमरा एवं एक्सपर्ट टीम बुलाने का दावा किया गया। बता दें किकैमरों में बाघ-तेंदुओं की तस्वीरें कैद हुई थीं। फिर भी हाथी, ड्रोन वएक्सपर्ट टीम नहीं आई। अब तो कैमरे भी हटाए जा चुके हैं। बाघ व तेंदुआ के हमलों की बढ़ती घटनाओं के विरोध में भारतीय किसान यूनियन द्वारा रेंज मुख्यालय पर धरना व प्रदर्शन किया। जिसके बाद वन विभाग काफी दबाव में आया और शासन की अनुमति के बाद आपरेशन चलाने पर सहमति बनी।
स्टाफ की कमी से जूझ रहा महकमा
वन्यजीवों को जंगल की ओर मोडऩे के लिए चार निगरानी टीमें भी बनाई गई थीं लेकिन, अधिकारियों ने कुछ दिनों के बाद लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया। देवीपुर बीट के वन दरोगा रामप्रसाद का कहना है कि अधिकारियों के निर्देशपर निगरानी टीम गठित की गई थी लेकिन, कम स्टाफ व वाहन आदि संसाधन उपलब्धन होने के कारण रात्रि में निगरानी नहीं हो पा रही है। रेंजर बनारसी दासमौर्य का कहना है कि बाघ या तेंदुआ पकडऩे के लिए पूरी तैयारी होनी चाहिए। सबसे जरूरी है कि इसके लिए उच्चाधिकारियों की भी अनुमति हो।