दुधवा टाइगर रिजर्व की किशनपुर रेंज में ग्रामीणों ने बाघ को मार डाला
लखीमपुर के दुधवा टाइगर रिजर्व के किशनपुर सेंचुरी की वन रेंज में ग्रामीणों ने खूंखार बाघ को घेर कर मार डाला। अब तक यहां दस बाघ मारे जा चुके हैं।
लखीमपुर (जेएनएन)। दुधवा टाइगर रिजर्व के किशनपुर सेंचुरी की वन रेंज में ग्रामीणों ने खूंखार बाघ को घेर कर मार डाला। पीलीभीत जिले के उत्तरी सेहरा मऊ थाना क्षेत्र में ग्राम चलतूआ में इस वारदात को अंजाम दिया गया। रविवार शाम बाघ ने यहां एक ग्रामीण को फिर निवाला बनाने का प्रयास किया था। घायल ग्रामीण को इलाज के लिए जिला चिकित्सालय लखीमपुर भेजा गया। इससे ग्रामीण उत्तेजित हो उठे थे। वन विभाग के सभी आला अफसर मौके पर पहुंच रहे हैं। इससे पहले किसी बाघ ने एक घोड़ी को निवाला बनाया, एक भैंस पर हमला किया और कुछ अन्य लोगों में दहशत का कारण बना।
बाघ के हमले से भैंस जख्मी
महेशपुर वन रेंज के अंतर्गत ग्राम साहबगंज ग्रंट के पास चर रहे मवेशियों पर बाघ ने हमला कर एक भैंस को गंभीर रूप से घायल कर दिया। ग्रामीणों के शोर मचाने पर बाघ, घायल भैंस को छोड़कर भाग गया।ग्राम छेड़ीपुर निवासी मोहसिन अपनी भैंस व दो गायों को ग्राम साहबगंज ग्रंट के पास चरा रहा था। तभी बाघ ने मोहसिन की भैंस पर हमला कर दिया। ग्रामीणों ने बाघ को देखकर शोर मचाना शुरू कर दिया। इससे बाघ, घायल भैंस को मौके पर छोड़कर भाग गया। मोहसिन ने ग्रामीणों की मदद से घायल भैंस को इलाज के लिए अपने घर पहुंचाया।
तेंदुए ने बकरे को बनाया निवाला
लखीमपुर के मैलानी वन क्षेत्र की जटपुरा बीट के गांव चौधीपुर के निकट तेंदुए ने बकरे को निवाला बना लिया। रविवार शाम लगभग चार बजे अवधेश गांव के निकट तालाब के पास अपनी बकरियां चरा रहा था कि अचानक पड़ोस के गन्ने के खेत से तेंदुआ निकल आया और एक बकरे को गन्ने के खेत में खींच ले गया। वन विभाग वालों ने तेंदुए को पकडऩे के लिए ङ्क्षपजरा गांव के किनारे लगाया है। इससे पहले भी तेंदुआ बकरियों को निवाला बना चुका है। घटना की सूचना पर वनरक्षक रामपाल यादव मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि बकरे का अधखाया शव नहर के पास छोड़कर तेंदुआ भाग गया है।
टाइगर रिजर्व में मारे जा चुके दस बाघ
टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद से अब तक 10 बाघों की असमय मौत हो चुकी है। चार साल पहले पीलीभीत के जंगल को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। 16 अगस्त 2014 को महोफ रेंज में बाघ मरने की पहली घटना हुई। 21 जनवरी 2015 को बराही रेंज में टाइगर का 17 किलो मीट और कंकाल मिला था। 23 अप्रैल 2015 को पूरनपुर क्षेत्र की हरदोई ब्रांच से बाघ का शव बरामद हुआ। पांच जनवरी 2016 को आठ किलो हड्डी मिली थीं। सात मई को माला रेंज में एक बाघ ने दो शावकों को मार डाला था। मौजूदा साल में 29 मार्च को शारदा सागर डैम में, 11 अप्रैल 2018 को जंगल में, 19 अप्रैल को महोफ रेंज के कंपार्टमेंट 112 से तथा 20 मई खारजा नहर पटरी के पास एक-एक बाघ के शव मिल चुके हैं। अक्टूबर में गजरौला गुरुद्वारा के पास हाइवे किनारे एक तेंदुआ का शव मिला था। उप निदेशक, पीलीभीत टाइगर रिजर्वआदर्श कुमार का कहना है कि बाघों की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।