खीरी, बहराइच से लेकर महाराजगंज तक फैले हैं टेरर फंडिग के माड्यूल
-टेरर फंडिग नेपाल के रास्ते भारत आने वाली रकम की जड़ें तलाश रहा खुफिया तंत्र। लखीमपुर इस मामले में पकड़ में आए लोगों से अभी तक ये बात पता चली है। कि बड़े। पैमाने।
लखीमपुर : तराई पट्टी में टेरर फंडिग का जो सनसनीखेज मामला दस दिन पहले सामने आया था, उसका यहां बड़ा नेटवर्क सक्रिय होने के इनपुट मिले हैं। मामले में अब तक सात आरोपितों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिनसे महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं। इन जानकारियों के आधार पर जो कड़ियां जुड़ रहीं हैं, उनसे ये चौंकाने वाला तथ्य भी सामने आया है कि महज खीरी ही नहीं, बल्कि नेपाल सीमा से सटे बहराइच और महाराजगंज जिले तक में टेरर फंडिग के माड्यूल फैले हैं, जो इस काम को यहां अंजाम दे रहे थे।
टेरर फंडिग का मामला तब पकड़ में आया था, जब बीती दस अक्टूबर की रात पलिया बस स्टैंड से पुलिस व क्राइम ब्रांच की टीम ने खमरिया निवासी उमेद अली, तिकुनिया निवासी संजय अग्रवाल व ऐराज अली एवं बरेली निवासी समीर सलमानी को गिरफ्तार किया था। इनके पास से नेपाली व भारतीय मुद्रा बरामद हुई थी। पूछताछ में मामला आतंकियों को फंडिग से जुड़ा पाया गया। बाद में यूपी एटीएस की टीम ने टेरर फंडिग से जुड़े बरेली निवासी फहीम व सिराजुद्दीन को गिरफ्तार किया और एक अन्य आरोपित मुमताज ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। पिछले दस दिनों की छानबीन में एटीएस को कई अहम सुराग इस नेटवर्क के बारे में मिले हैं। सूत्रों के मुताबिक एटीएस ने खीरी से लेकर महाराजगंज जिले तक की नेपाल सीमा से सटी तराई पट्टी में तकरीबन सौ ऐसे माड्यूल चिन्हित किए हैं, जो टेरर फंडिग नेटवर्क से जुड़े हैं। नेटवर्क की जड़ें तलाश रहा खुफिया तंत्र
टेरर फंडिग मामले में पकड़ में आए लोगों से अभी तक ये बात पता चली है कि बड़े पैमाने पर रकम यहां भेजी गई, पर ये किस मुल्क से किसने भेजी, इसका पता नहीं चला है। पड़ताल में जुटे खुफिया तंत्र को नेपाल के एक बड़े अंतरराष्ट्रीय तस्कर समेत एक ट्रेडिग कंपनी पर शक है। इसका कारण ये है कि टेरर फंडिग मामले में खीरी जिले में गिरफ्तारियां होने से पहले नेपाल में तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। वहीं से अहम इनपुट मिलने के बाद यहां पुलिस ने कार्रवाई की थी।