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मतदान अधिकारी प्रथम, द्वितीय के लिए कर्मचारियों की कमी

विधानसभा चुनाव के लिए इनदिनों तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं लेकिन पोलिग बूथों पर मतदान के लिए कर्मचारियों की कमी है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 10:12 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 10:12 PM (IST)
मतदान अधिकारी प्रथम, द्वितीय के लिए कर्मचारियों की कमी
मतदान अधिकारी प्रथम, द्वितीय के लिए कर्मचारियों की कमी

लखीमपुर: विधानसभा चुनाव के लिए इनदिनों तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं, लेकिन पोलिग बूथों पर मतदान के लिए कर्मचारियों की भारी कमी दिख रही है। जिन 26 हजार कर्मचारियों की डाटा फीडिग की गई है, उनमें दिव्यांग, गर्भवती महिला कर्मचारी, गंभीर बीमारी से जूझ रहे कर्मचारियों को भी निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के अनुसार चुनाव ड्यूटी से मुक्त करना है, वहीं दूसरी ओर कोरोना के बढ़ते केसों की वजह से स्वास्थ्य कर्मियों की ड्यूटी काटनी पड़ेगी। वन विभाग व बिजली वाले इमरजेंसी सेवा का हवाला देकर चुनाव ड्यूटी से बचने की कोशिश में हैं। एक निर्देश यह है कि पति-पत्नी अगर दोनों सरकारी सेवा में हैं तो चुनाव में एक ही की ड्यूटी लगाई जाए। फीड डाटा में लेखपालों को भी शामिल किया गया है, जबकि लेखपाल पर बूथों को तैयार करने और वहां संसाधनों को उपलब्ध कराने का जिम्मा है। इसलिए उन्हें भी पोलिग पार्टी से अलग ही माना जा रहा है। पोलिग पार्टी में बैंक कर्मियों को भी शामिल किया गया है, लेकिन बैंकिग सेवाओं को देखते हुए यहां भी कर्मचारियों में कटौती करनी पड़ेगी। इसी तरह ड्यूटी कटवाने के लिए सैंकड़ों कर्मचारी मेडिकल रिपोर्ट का सहारा लेंगे। महिला कर्मचारी अपने छोटे बच्चों के पालन के लिए ड्यूटी कटवाने आएंगी। जिन्हें आयोग की गाइडलाइन के अनुसार ड्यूटी से मुक्त करना पड़ेगा। फीड डाटा में स्वास्थ्य विभाग की वह एएनएम भी हैं, जिन्हें पोलिग बूथ पर लगाया गया है। इसके साथ ही वह सफाईकर्मी भी डाटा में शामिल किए गए हैं, जो व्यवस्था संभालने के लिए चुनाव कार्यों में अलग-अलग दफ्तरों, अधिकारियों के साथ लगाए गए हैं। एक अधिकारी का कहना है कि चुनाव में पीठासीन अधिकारी पर्याप्त मात्रा में हैं, लेकिन मतदान अधिकारी प्रथम व मतदान अधिकारी द्वितीय के लिए कर्मचारियों की कमी पड़ेगी। मतदान के लिए करीब 14 हजार कर्मचारियों की जरूरत है, इनमें रिजर्व कर्मचारी भी शामिल हैं। इस संख्या में संविदा कर्मचारी नहीं शामिल किए गए हैं। जिले में आठ हजार संविदा कर्मचारी हैं। इनमें शिक्षामित्र, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शामिल हैं। प्रशासन ने इस चुनाव में अभी तक संविदा कर्मचारियों को लगाने के लिए निर्वाचन आयोग से अनुमति नहीं मांगी है। पिछले दिनों शिक्षामित्रों को चुनाव में ड्यूटी लगाने के लिए स्थानीय स्तर पर फाइल तैयार की गई थी, लेकिन उसे भी तक आयोग की अनुमति के लिए नहीं भेजा गया। अधिकारियों का कहना है कि संविदा कर्मियों को विकल्प के रूप में रखा जाना था। ऐसे में चुनाव में पोलिग बूथवार कर्मचारियों की कमी से इंकार नहीं किया जा सकता है। क्योंकि फीड डाटा में परिस्थितियों के अनुसार कर्मचारियों की ड्यूटी काटनी पड़ेगी और उनकी जगह पर नए कर्मचारियों को लगाना होगा। ऐसे में जरूरी है कि संविदा कर्मियों को भी चुनाव ड्यूटी में शामिल किया जाए।

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