सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश परंपराओं पर आघात
केरल के शबरीमाला मंदिर में 10 साल से 50 साल उम्र तक की महिलाओं को अंदर जाने की इजाजत दिए जाने पर विश्व ¨हदू परिषद ने नाराजगी जताई है।
लखीमपुर : केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 साल से 50 साल उम्र तक की महिलाओं को अंदर जाने की इजाजत दिए जाने पर विश्व ¨हदू परिषद ने नाराजगी जताई है। इसे लेकर विश्व ¨हदू परिषद ने डीएम के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा है। जिले की विश्व ¨हदू परिषद इकाई ने विभाग मंत्री बृजेश पांडेय के नेतृत्व में डीएम को ज्ञापन सौंपा और शबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को ¨हदू परंपराओं पर आघात बताया।
ज्ञापन में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय ने पांच जजों की जो बेंच बनाई, उसने 20 अक्टूबर को केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 वर्ष से 50 वर्ष की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी। यह ¨हदू परंपरा पर आघात है। ज्ञापन में कहा गया है कि यह मान्यताओं और परंपराओं का सवाल है। इसे महिलाओं के अधिकारों को जोड़ कर देखना मान्यता के विरुद्ध और यह कुतर्क है। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि फिलहाल 65 के करीब रिव्यू पिटीशन दायर हैं, ताकि फैसले को बदला जा सके। उच्चतम न्यायालय की बेंच ने दोबारा इस मामले की सुनवाई शुरू की। इस बीच केरल की राज्य सरकार के द्वारा ¨हदू विरोधी राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने जबरन मंदिर में जो प्रवेश कराया, मान्यताओं के विरुद्ध है। ज्ञापन सौंपने वालों में प्रांतीय कमेटी के सदस्य आचार्य संजय मिश्र, विश्व ¨हदू परिषद के जिला विशेष संपर्क प्रमुख प्रदीप मिश्र, धारा ¨सह सिसोदिया, सुनील जायसवाल, बजरंग दल के जिला संयोजक मनोज तिवारी, विपुल सेठ, अनुज दीक्षित, आनंद दीक्षित, सुनील जायसवाल समेत काफी संख्या में विश्व ¨हदू परिषद के कार्यकर्ता शामिल थे।