रास्ते अलग-अलग पर सभी एक खुदा के बंदे: सुदीक्षा
संवादसूत्र लखीमपुर सद्गुरू माता सुदीक्षा ने कहा कि वे लखीमपुर की धरती पर पहली बार आई हैं।
लखीमपुर : सद्गुरू माता सुदीक्षा ने कहा कि वे लखीमपुर की धरती पर पहली बार आई हैं, सभी संतों के दर्शन करके उन्हें प्रसन्नता हुई है। इसके पूर्व सद्गुरू बाबा हरदेव सिंह महाराज लखीमपुर आते रहे हैं। निरंकारी मिशन के बारे में उन्होंने बताया कि मिशन की शुरुआत नब्बे वर्ष पूर्व सद्गुरू बाबा बूटा सिंह महाराज ने कराई। आज मिशन का विस्तार पूरे विश्व के कोने-कोने में हो चुका है। उन्होंने बताया कि सभी एक खुदा के बंदे हैं धर्म के अलग-अलग रास्ते होने के बाद भी सभी एक प्रभु के उपासक हैं। बायतु कॉलेज के मैदान में करीब तीन बजे पहुंची माता सुदीक्षा जी महाराज का फूल-मालाओं से श्रद्धालुओं ने जोरदार स्वागत किया।
इसके बाद उन्होंने कहा कि इंसान जगत में क्यों आया है, कहां जाना है कहां से आया है, यह उसे नहीं मालूम। लेकिन गुरु के ज्ञान से ही वह सतपथ पर चलकर इन प्रश्नों के जवाब पा सकता है और उस एक खुदा ईश्वर को पा सकता है। युवराजदत्त महाविद्यालय के मैदान में निरंकारी सद्गुरू माता सुदीक्षा महाराज की पावन छत्रछाया में विशाल निरंकारी सत्संग समारोह का आयोजन हुआ। जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्त एवं प्रभु प्रेमी पहुंचे। इसमें पड़ोसी देश नेपाल से भी सैकड़ों की संख्या में भक्त शामिल हुए। सद्गुरू के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु पहले से ही लाइनों में खडे़ नजर आए। सभी निरंकारी सेवादल के भाई-बहन सभी का स्वागत और मार्गदर्शन कर रहे थे। प्रकाशन, लंगर, प्याऊ, प्रेस, डिस्पेन्सरी, ज्ञान कक्ष आदि स्टालों पर भी श्रद्धालु काफी संख्या में नजर आए। करीब तीन बजे सद्गुरू माता के आगमन पर सम्पूर्ण मैदान जयघोष से गूंज उठा गीतों और विचारों का क्रम शुरू हो गया। भक्तों ने गीत व विचार भी सद्गुरू माता के समक्ष प्रस्तुत किए। जिनका सार बस यही था कि एकत्व, शांति, समरसता, विश्वबन्धुत्व तथा मानवीय गुणों को घर-घर तक पहुंचाना। सेवा, सत्संग व सुमिरन रूपी आभूषण को सदैव ही धारण करना है।