धूमधाम से मनाई बाबा ईशर सिंह की बरसी
सारा जीवन गुरु ग्रंथ साहब व सिख धर्म की भलाई में लगा दिया। उन्होंने बहुत कम समय में साढ़े सात लाख प्राणियों को अमृत पान कराकर गुरुओं के आदेशानुसार सत्य मार्ग पर ही चलने को कहा।
लखीमपुर: ठाट नानकसर गुरुद्वारा में बाबा ईशर सिंह की बरसी नानकसर कलेरा पंजाब वाले बाबा सुखदेव सिंह की अगुवाई में धूमधाम से मनाई गई। समागम के शुक्रवार को तीसरे दिन भी भोग पड़ा व अटूट लंगर चला। भोरा साहेब में 21 दिनों से चल रहे संपुट पाठ का रात में समापन हुआ। जिसमें पूरे प्रदेश से सिख धर्म के हजारों लोग शरीक हुए। कार्यक्रम में राजस्थान हजरतपुर से पधारे बाबा पाल सिंह, निहालगढ़ के बाबा बलवीर सिंह, पंजाब से आए बाबा सुखचैन सिंह ने उपस्थित लोगों को गुरुग्रंथ साहब की कथा सुनाकर निहाल किया। वहीं बाबा गुरमीत सिंह ने संगत को बताया कि बाबा ईशर सिंह का जन्म पंजाब के गांव झोरड़ा में 26 मार्च 1923 को हुआ था आप 12 वर्ष की आयु में पंजाब के महापुरुष बाबा आनंद सिंह कलेरा वालों से मिलाप हुआ। जिन्होंने ईशर सिंह को भगवान का सिमरन करने की प्रेरणा दी। उसके बाद सारा जीवन गुरु ग्रंथ साहब व सिख धर्म की भलाई में लगा दिया। उन्होंने बहुत कम समय में साढ़े सात लाख प्राणियों को अमृत पान कराकर गुरुओं के आदेशानुसार सत्य मार्ग पर ही चलने को कहा। इन्होंने अपना शरीर नानकसर में 1963 में त्यागा तभी से हर वर्ष इनकी जगह-जगह बरसी मनाई जाती है। नानकसर गुरुद्वारे में चल रहे विद्यालय बाबा बंधावा सिंह के विद्यार्थियों द्वारा गतका पार्टी में भाग लिया गया वहीं 90 प्राणियों को अमृत पान कराया गया। रागी जत्थों में ढाढी महताब सिंह भिडर त्रिलोक सिंह जागधारी के कारिदों ने गुरुओं के गुणगान में कीर्तन आदि सुनाकर निहाल किया।