पालतू कुत्तों का कराएं नियमित टीकाकरण
चिकित्सकों का मानना है कि घरेलू कुत्तों को रैबीज का इंजेक्शन लगवाने से वे इस वायरस से सुरक्षित होते हैं जिससे घर के लोगों को खतरा नहीं होता। हर रोज आते हैं करीब 30 मरीज।
लखीमपुर : शहर की सड़कों पर घूम रहे आवारा आतंक किसी के लिए और कभी भी जानलेवा साबित हो सकते हैं। जिला अस्पताल में हर रोज ऐसे केस आ रहे हैं, जिन्हें कुत्ते ने काटा होता है। ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्रों तक लोग इंजेक्शन लगवाने के लिए अस्पताल में लंबी लाइन लगाते हैं। रोज का औसत देखें तो लगभग 30 से 35 लोग आते हैं, जबकि महीने का औसत 900 के आसपास बैठ रहा है। चिकित्सकों का मानना है कि घरेलू कुत्तों को रैबीज का इंजेक्शन लगवाने से वे इस वायरस से सुरक्षित होते हैं, जिससे घर के लोगों को खतरा नहीं होता। तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है रैबीज
रेबीज एक जानलेवा वायरस जनित बीमारी है, जो कि किसी संक्रमित जानवर जैसे आवारा कुत्ते के काटने या पंजा मारने और चाटने पर लार से फैलती है। साधारणत: कुत्ते के काटने के बाद रैबीज वायरस तंत्रिका से होते हुए मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी तक पहुंच जाता है तथा वहां पर सूजन और लाल पन होने लगता है। इससे मरीज की हालत बहुत तेजी से बिगड़ती है। वह पागल होकर मर जाता है। ये हैं लक्षण
रैबीज के सामान्य लक्षण जैसे बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में खिचाव और लकवा मारने जैसी स्थिति, मुंह से लार का लगातार हो जाना एवं मानसिक अचेतना जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। मरीज के पानी देखने या पीने पर गले की मांस पेशियों में बहुत तीव्र अकड़न हो जाती है। उसे पानी देखने से डर लगने लगता है, जिसे हाइड्रोफोबिया कहते हैं। कुत्ता जब रैबीज वायरस से ग्रसित होता है तो उसके गले की मांस पेशियों में भी अकड़न होने लगती है। उसकी पिछली टांगे लड़खड़ाने लगती है, मुंह से झाग आने लगता है और वह बेचैन होकर इधर-उधर भागने लगता है। घर के पालतू कुत्ते का करवाएं टीकाकरण
जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आरपी वर्मा बताते हैं कि इसका सबसे अच्छा तरीका है कि जब भी कुत्ता काटे या खरोच करें, उसको साबुन से अच्छी तरीके से धोना चाहिए। रैबीज को शत प्रतिशत रोका जा सकता है, अगर तुरंत दवा की जाए। अपने घर में पाले जाने वाले पालतू कुत्ते या अन्य जानवरों का टीकाकरण करवाना बहुत जरूरी है।