प्रवासी श्रमिकों को सता रहा आने वाला चौमास
बरसात में काम न मिलने पर गृहस्थी की गाड़ी चालाने की लोगों को चिंता हो रही है।
सतेंद्र भारद्वाज, पड़रियातुला (लखीमपुर): कोराना महामारी के चलते अन्य प्रदेशों में काम करने गए प्रवासी मजदूर अपने घर वापस लौट आए हैं। घर लौटे प्रवासी मजदूरों को मनरेगा तो बहुत रास आ रहा है, लेकिन उन्हें आने वाला बरसात का समय यानी चौमास अभी से सताने लगा है।
ग्राम मुड़िया हेमसिंह के कई लोग बाहर काम करने गए थे जो पूरे साल बाहर काम करते हैं, लेकिन चौमास शुरू होते ही अपने घर वापस आ जाते थे। बरसात के महीनों के बाद दीपावली होते ही पुन: काम के लिए रवाना हो जाते थे। इस बार कोरोना महामारी के चलते अभी से ही सब बीच में ही काम छोड़कर अपने घर चले आए है। जो वहां काम कर पैसे बचाए थे वह ज्यादातर खर्च हो गए हैं। यहां आकर उन्हें मनरेगा में तुरंत काम मिल गया व उसका पैसा भी उनके खाते में पहुंच गया, पर आने वाला बरसात का महीना उन्हें चैन नहीं लेने दे रहा है। पड़रियातुला निवासी रमेश बताते हैं कि मैं हर वर्ष महाराष्ट्र जाता था जहां कार्य करने के बाद जून या जुलाई में घर वापस आता था। तीन चार महीने बचत के पैसों से खर्च चलाता था उसके बाद फिर वापस चला जाता था। इस बार हमें चौमास काटने के लिए सोचना पड़ रहा है कि इस समय तो ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत कार्य मिल रहा है, लेकिन बरसात में जब यह भी कार्य बंद होंगे और उधर खेती का भी कार्य बंद होगा तो हम लोग क्या करेंगे। ओम प्रकाश व लक्ष्मण, छोटे आदि कई लोगों के सामने भी यही समस्या है। ये लोग बताते हैं कि कभी पंजाब तो कभी हरिद्वार की फैक्ट्री में मजदूरी करके हजारों रुपये बचा लेते थे जिससे चौमास का खर्च आसानी से निपट जाता था।