लखीमपुर-गोला रूट पर भी ट्रेनों के जल्द संचालन की उम्मीद जगी
रेल विभाग से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि सीतापुर से लखीमपुर तक सीआरएस ट्रायल के बाद विभाग ने अब पूरा फोकस शेष बचे ट्रैक और स्टेशनों की पूर्णता पर लगा दिया है। लखनऊ-बरेली रूट पर छोटी लाइन की ट्रेनों का संचालन करीब ढाई वर्ष पहले अमान परिवर्तन के कारण बंद कर दिया गया था। लखीमपुर तक 120 किमी प्रतिघंटा की स्पीड से कुछ बोगियों की ट्रेन चलाई जा चुकी है। क्षेत्र के लोगों को अभी गोला और इससे आगे बांकेगज मैलानी और आगे के रूट पर ट्रेनों के चलने का बेसब्री से इंतजार है। पत्थर लेकर एक मालगाड़ी पहले गोला पहुंची और फिर इसे बांकेगंज तक चलाया गया। इसे लेकर आए सुपरवाइजर उमेश राठौर व चालक शादाब अहमद ने बताया कि इन दिनों ट्रैक पर पत्थर डालने के अलावा इस रूट के स्टेशनों पर यात्री सुविधाएं पूर्ण करने आदि का काम तेज कर दिया गया है। जो पूरा
लखीमपुर: लखीमपुर-गोला के बीच जल्द ही बड़ी लाइन की रेलों का संचालन शुरू हो जाएगा। यह उम्मीद उस वक्त जगी जब लखनऊ से पत्थर लादकर एक मालगाड़ी ने दूसरी बार बांकेंगंज तक का सफर किया। रेल विभाग से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि सीतापुर से लखीमपुर तक सीआरएस ट्रायल के बाद विभाग ने अब पूरा फोकस शेष बचे ट्रैक और स्टेशनों की पूर्णता पर लगा दिया है। लखनऊ-बरेली रूट पर छोटी लाइन की ट्रेनों का संचालन करीब ढाई वर्ष पहले अमान परिवर्तन के कारण बंद कर दिया गया था। लखीमपुर तक 120 किमी प्रतिघंटा की स्पीड से कुछ बोगियों की ट्रेन चलाई जा चुकी है। क्षेत्र के लोगों को अभी गोला और इससे आगे बांकेगज, मैलानी और आगे के रूट पर ट्रेनों के चलने का बेसब्री से इंतजार है। पत्थर लेकर एक मालगाड़ी पहले गोला पहुंची और फिर इसे बांकेगंज तक चलाया गया। इसे लेकर आए सुपरवाइजर उमेश राठौर व चालक शादाब अहमद ने बताया कि इन दिनों ट्रैक पर पत्थर डालने के अलावा इस रूट के स्टेशनों पर यात्री सुविधाएं पूर्ण करने आदि का काम तेज कर दिया गया है। जो पूरा हो जाने के बाद ट्रेन चलाकर चरणबद्ध ढंग से ट्रायल किया जाएगा।