प्रदूषण से आदिगंगा गोमती का अस्तित्व खतरे में
लखीमपुर : प्रदूषण के चलते गोमती का अस्तित्व खतरे में है। कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर क्षे
लखीमपुर : प्रदूषण के चलते गोमती का अस्तित्व खतरे में है। कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर क्षेत्र के हजारों श्रद्धालुओं को प्रदूषित गोमती में आस्था की डुबकी लगानी पड़ेगी। नमामि गंगे योजना सहित तमाम संगठनों द्वारा गोमती की अविरलता व निर्मलता के लिए करोड़ों रुपये भी खर्च किये गए। राजधानी में गोमती नदी को नए रंग-रूप में ढाला गया, लेकिन सैकड़ों स्थानों पर प्रदूषित हो चुकी गोमती को भगीरथ की जरूरत है। गंगा स्नान के पर्व पर इसके कई घाटों पर मेला लगता है।
खीरी-हरदोई जनपद सीमा पर नेशनल हाईवे 24 के किनारे लगने वाले मेले में हजारों की संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। गोमती के घाटों पर गंदगी के कारण पानी दलदल का रूप ले चुका है। आदिगंगा गोमती से आस्था जुड़ी होने की वजह से यहां स्नान को पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को गंदे जल में डुबकी लगानी पड़ेगी। जिससे संक्रामक रोगों के फैलने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। ऋषि वशिष्ठ की पुत्री कही जाने वाली गोमती नदी के तट पर टेढ़ेनाथ, पारसनाथ, जंगलीनाथ सहित दर्जन भर शिवालय इसकी महत्ता को और मजबूत करते हैं, यही नहीं राज्य चिह्न में सुशोभित मछली भी गोमती नदी का स्वरूप है।
गोमती की 22 सहायक नदियां
तरेउना, झुकना, भैंसी, छोहा, अंधा छोहा, सई, कठिना, सरायन, पिरई, वेता, गोन, बेहता, रेठ, कल्याणी, अकरद्दी, कुकरैल, लोनी, गढ़ईया, बड़ागांव नाला, जाहरगंज नाला, पुरानी नदी व पीली नदी आदि गोमती की सहायक नदियां हैं।
14 जिलों के लिए जीवनदायिनी है गोमती
पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर, हरदोई, सीतापुर, लखनऊ, बाराबंकी, फैजाबाद, अमेठी, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, जौनपुर, गाजीपुर व वाराणसी।
क्षेत्र के प्रमुख घाट
कांकर घाट, बरुआ घाट, सेमरा घाट, जतनगंज, चलतुआ घाट, मरी घाट, निबिया घाट, धोबी घाट।