राम ने सदियों जंग लड़ी है रावण से.
लखीमपुर: शहर के दशहरा मेला के तारीखी कुल¨हद मुशायरे में दूर-दराज से आए शायरों न
लखीमपुर: शहर के दशहरा मेला के तारीखी कुल¨हद मुशायरे में दूर-दराज से आए शायरों ने अपने कलाम पेश किए। सुबह तक चले इस मुशायरे में सामयीन जमे बैठे रहे। पूर्व मंत्री जफर अली नकवी ने शमा रोशन कर मुशायरे का उद्घाटन किया। मुशायरे की सदारत जफर अली नकवी ने की। मुईन शादाब की निजामत में मुशायरे का आगाज पलिया से आए युवा शायर समीउल्लासमी ने नाते रसूल पढ़कर किया। इसके बाद शहर के शायर नसीम लखीमपुरी ने गजल पढ़ी तो पूरा पंडाल झूम गया।
खीरी टाउन के इकबाल अकरम वारसी ने पढ़ा कि जहां इस आसमां के नीचे मिलकर सारे रहते हैं मोहब्बत की जुबा में उसको ¨हदुस्तान कहते हैं। मंजर भोपाली ने पढ़ा कि किसी यजीद के आगे मैं झुक नहीं सकता, मेरे मिजाज पर एहसान कर्बला का है। शाइस्ता सना शेर लोगों ने बहुत सराहे मेरा महबूब मजदूर है मगर उसने मुझे अपनी कुटिया में रखा है रानी की तरह। अनीस बोस्तानी ने मैं एक मासूम बच्चा हूं हिरन का मेरा पीछा शिकारी कर रहे हैं। पढ़कर वाहवाही लूटी। लहरपुरी के शायर उमर फारुकी ने पढ़ा कि राम ने सदियों जंग लड़ी है रावण से, भारत का इतिहास गवाही देता है। डॉ. राहत इंदौरी ने महफिल को जमा दिया उन्होंने पढ़ा कि जो यह दीवार का सुराख है साजिश का हिस्सा है, मगर हम इसको अपने घर का रोशनदान कहते हैं। दिल्ली से डॉ. माजिद देवबंदी ने पढ़ा कि इससे बढ़कर बेहिसि की और क्या होगी मिसाल हम न जागे और पड़ोसी का मकान जलता रहा।
संचालन कर रहे मोईन शादाब ने पढ़ा कि शिकस्त जिसका नसीब होगी कुछ उसका सोचो तुम्हारा क्या है तुम्हें तो सिक्का उछालना है। इलियास चिश्ती के शेर सराहे गए। एक मुद्दत से तेरी याद ने गर्दिश नहीं की मेरी आंखों ने इसी वास्ते बारिश नहीं की। अल्ताफ जिया मालेगांव ने पढ़ा कि यह मंदिर यह मस्जिद यह गिरजा यह गुरुद्वारा जरा सा, आगे बढ़ जाओ तो फिर मैखाने लगते हैं। इसके अलावा रंजना ¨सह हया, शाद लखीमपुरी, अलीम साहिल, राजू खैराबादी आदि शायरों ने कलाम पेश किए। मुशायरा देर रात तक चलता रहा। जिसमें छेदा मियां दरगाह के सज्जादा नसीन सैयद मुमताज मियां सफीपुर के सज्जादा नसीन, मोनिश खान, शकील खान सागर, डॉ. एजाज, मो. शफीक एडवोकेट समेत नगर पालिका परिषद का पूरा बोर्ड और सैकड़ों की तादाद में लोग मौजूद रहे।