चले राम लखि अवध अनाथा . . . .
सेठ गया प्रसाद ट्रस्ट की ओर से आयोजित श्रीराम लीला के छठे दिन राम वन गमन का मंचन किया गया।
लखीमपुर : चले राम लखि अवध अनाथा, नगर लोग सब लागे साथा। लागत अवध भयावनि भारी, मानहु काल राति अंधियारी। मंथरा के कहने पर कैकेई महाराजा दशरथ से दो वरदान मांगती हैं, भरत को राजगद्दी और श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास। राजा दशरथ कहते हैं कि वे भरत को राजगद्दी देने के लिए तैयार हैं लेकिन, राम को वनवास न मांगें, कैकेई नहीं मानती हैं। अंत में प्रभु श्रीराम वन जाने के लिए तैयार हो जाते हैं। उनके साथ सीता और छोटे भाई लक्ष्मण भी वन जाने के लिए प्रस्थान करते हैं।
सेठ गया प्रसाद ट्रस्ट की ओर से आयोजित श्रीराम लीला के छठे दिन राम वन गमन का मंचन किया गया। मथुरा भवन में इस दौरान रामलीला के संचालक डॉ. सोम दीक्षित के साथ ट्रस्ट के सर्वराहकार विपुल सेठ तथा किशन सेठ, अभिषेक सेठ आदि मौजूद रहे। श्रीराम, लक्ष्मण व सीता समेत जैसे ही वन जाने के लिए रथ पर सवार होते हैं, उनके साथ अयोध्या के लोग भी तैयार हो जाते हैं। वे कहते हैं कि हम भी अवध में नहीं रहेंगे। जहां राम होंगे वहीं हमारी अयोध्या होगी। प्रभु श्रीराम उन्हें बार-बार वापस जाने को कहते हैं। आर्य सुमंत रथ चलाते हैं, नगरवासी पीछे-पीछे चल देते हैं। आज अयोध्या अनाथ लग रही है, दिन में भी कालरात्रि का आभास हो रहा है, राम के बिना अवध में रहने को कोई भी तैयार नहीं है।