निघासन सीएचसी पर दवाओं का टोटा, हाल हुआ बेहाल
निघासन (लख मपुर) : बारिश के बाद तेज धूप से क्षेत्र में विभिन्न बीमारियों ने जकड़ना शुरू कर
निघासन (लख मपुर) : बारिश के बाद तेज धूप से क्षेत्र में विभिन्न बीमारियों ने जकड़ना शुरू कर दिया है। बदलते मौसम के चलते मलेरिया, टायफाइड के मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी है। तराई के लोगों को डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी का भी भय सताने लगा है। ग्रामीण क्षेत्रों में पांव फैला चुकी बीमारियों के कारण अस्पतालों में बढ़ती मरीजों की संख्या से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं की है। जिससे मरीजों का सरकारी इलाज से मोह भंग हो रहा है और मरीज मजबूर होकर प्राइवेट डाक्टरों के यहां जाने पर विवश हैं। सीएचसी पर कोई उचित इंतजाम नहीं हैं। जिससे आपातकालीन समय में आने वाले मरीजों को तत्कालीन मदद मिल सके। जोखीपुरवा के अवधेश कुमार बताते हैं कि चार दिनों पूर्व उनके पुत्र को निमोनिया के लक्षण मालूम हो रहे थे। इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में दिखाया था, लेकिन मजबूरन बच्चे को दूसरी जगह दिखाना पड़ा। यह समस्या क्षेत्र के एक दो मरीजों की नहीं है। अस्पताल पहुंचने वाले हर दूसरे व्यक्ति को जिन्हें समय से इलाज की सुविधा न मिलने के कारण प्राइवेट डाक्टरों के यहां जाना पड़ रहा है। सबसे बड़ी समस्या प्रसूताओं की होती है,जरूरी संसाधन व दवाओं के अभाव में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस संबंध में सीएचसी प्रभारी डॉ. अरुण कुमार मिश्रा ने बताया कि सीएचसी में बहुत सी जरूरी दवाएं नहीं है, स्टाफ की भी कमी है, जिसके चलते अधिकतर मरीजों को जिला अस्पताल रेफर किया जाता है।