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चीनी मिल से अजबापुर गांव को मिली पहचान

जंगबहादुरगंज (लखीमपुर) : कस्बा जंगबहादुरगंज से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव अजबापुर

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 11:14 PM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 11:14 PM (IST)
चीनी मिल से अजबापुर गांव को मिली पहचान
चीनी मिल से अजबापुर गांव को मिली पहचान

जंगबहादुरगंज (लखीमपुर) : कस्बा जंगबहादुरगंज से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव अजबापुर की पहचान डीएससीएल शुगर मिल से है। इस चीनी मिल के स्थापित होने के बाद ही अजबापुर गांव मशहूर हो गया। चीनी मिल सन 1997 में 3125 टीएसडी पेराई क्षमता के साथ शुरू की गई थी। इसके साथ ही गांव के लोग अपनी मेहनत और आपसी मेल-जोल के दम पर आगे बढ़ रहे हैं।

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यह है खूबी :

अजबापुर गांव के अधिकांश लोग खेती पर निर्भर है। गन्ना की फसल यहां की प्रमुख खेती है। अजबापुर में प्रत्येक अमावस्या पर लगने वाला मेला भी क्षेत्र में इस गांव की पहचान है। मेले में तीतर की लड़ाई आकर्षण होती ह । गांव के बाहर बाग में देवीस्थान के निकट मेले का आयोजन होता है। आधारभूत ढांचा

लगभग चार हजार आबादी वाले अजबापुर गांव में 1800 मतदाता है। यहां प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय के साथ ही आगनबाड़ी केंद्र भी है। आठवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद बच्चों को तीन किलोमीटर दूर कस्बा जंगबहादुरगंज जाना पड़ता है। चीनी मिल बनने से बाजार तो बनी, लेकिन गांव की सड़कें जर्जर हो गईं। यह हो तो बने बात

अजबापुर में बारातघर, अस्पताल, इंटर कॉलेज बन जाये तो गांव की दिक्कतें खत्म हो सकें। आठवीं के बाद स्कूल न होने के कारण बालिकाओं को शिक्षा से मजबूरन महरूम होना पड़ जाता है। इसके अलावा यहां की जर्जर सड़कें व नाली का निर्माण न होने से जलभराव की स्थित बनी रहती है। इसके बनने से समस्या दूर हो सकती है। मिल के पेराई सत्र के दौरान लगने वाली जाम भी यहां की मुख्य समस्या है। ²ष्टिकोण

वर्तमान प्रधान देवीसरन का कहना है कि गांव में जलभराव को लेकर सड़क निर्माण के लिए जिम्मेदारों को अवगत कराया जा चुका है। नाली, खड़ंजा आदि के कार्य लगातार कराये जा रहे है। आंगनबाड़ी, मिनी अस्पताल के लिए भी शासन को अवगत कराया है। बारातघर सहित जनता के हित के लिए अन्य कार्यों के प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं। उम्मीद है जल्द ही समस्याओं से निजात मिल जाएगी। पूर्व प्रधान गीता ¨सह का कहना है कि अजबापुर होकर मुल्लापुर, अभनापुर, सिकटारा, पतवन, गो¨वदापुर, पिपरौला कुंवरपुर, लोदियापुर, कमतरा, नयागांव किशोरी, नरदी आदि दर्जनों गांवों के सैकड़ों लोग रोजाना गुजरते हैं। मिल गेट के सामने दलदल बने गढ्ढे व गांव की जर्जर सड़क का निर्माण हो जाने से राहगीरों को राहत मिलेगी।

इन पर है नाज

अजबापुर के राजू श्रीवास्तव ने भारतीय सेना में भर्ती होकर गांव का नाम रोशन किया। राजू को आदर्श मानकर यहां के युवक रोजाना सुबह सड़क पर दौड़ते दिखाई देते हैं।

यहां के निवासी प्रमोद ¨सह अपनी राजनीति के द्वारा गांव के आदर्श बने हैं। उन्होंने अपनी अनुज वधू गीता ¨सह को प्रधान बनाने के साथ गांव में विकास कराया। उनके प्रयासों से स्कूल में शिक्षा व्यवस्था में भी सुधार हुआ।

यहां के निवासी देवेंद्र ¨सह ने खेती के साथ समाजसेवा के उद्देश्य से राजनीति में कदम रखते हुए अपनी पत्नी को क्षेत्र पंचायत सदस्य पद का चुनाव जिताया। इसके बाद वह गांव के विकास के लिए प्रयासरत रहते हैं।

राजेश वर्मा ने गन्ना सहित अन्य फसलों क बड़े स्तर पर खेती करके युवाओं को आकर्षित किया। उन्होंने सिखाया कि तकनीक व अनुभव के साथ कैस अच्छी पैदावार की जा सकती है।

यहीं के निवासी रामपाल वर्मा ने चीनी मिल लगने के बाद गन्ना की उन्नतशील फसल से उपज बढ़ाई। रामपाल खेती में रुचि रखने वाले युवाओं सहित गांव वालों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।

उपलब्धि

चीनी की मिठास के साथ ही मिल लग जाने से क्षेत्र में आर्थिक मजबूती हुई है। यहां की मुख्य बाजार जंगबहादुरगंज में रौनक बढ़ने के साथ ही मिल द्वारा परिषदीय स्कूलों में शौचालय, बाउंड्रीवाल, फर्स, झूला हेल्थ कैंप के साथ ही गन्ना किसानों के लिए मृदा परीक्षण लैब, कृषि वैज्ञानिक की सहज उपलब्धता किसानों के लिए वरदान साबित हुई है।


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