प्रवासी श्रमिकों के बच्चों को शिक्षित बनाएगा 'स्लम स्वराज'
बच्चों को शिक्षा उनके ही गांव में दिए जाने का बीड़ा उठाया है। जिले में कुछ वालंटियरों की मदद से गांव में प्रवासी मजदूरों के बच्चों को शिक्षा देकर उनके नन्हे सपनों को साकार किया जाएगा।
लखीमपुर: प्रवासी मजदूरों के नन्हे मुन्ने बच्चों के सपनों को साकार बनाने का स्लम स्वराज फाउंडेशन ने बीड़ा उठाया है। संस्था अब तक प्रदेश के लगभग एक दर्जन जिलों में एक हजार से ज्यादा इंजीनियरिग की डिग्री हासिल किए वालंटियर प्रवासी मजदूरों के बच्चों को उनके गांव में ही शिक्षा की लौ जलाकर मासूमों के भविष्य को रोशन करने का काम कर रहे हैं। संस्था के हेड इंजीनियर अभिषेक कुमार ने बताया कि लॉक डाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की परिवार समेत घरों को वापसी के बाद खाने कपड़े के अलावा बच्चों की शिक्षा भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। उन्होंने बताया कि 2015 में फाउंडेशन की शुरुआत के बाद प्रदेश के जाने माने संस्थानों में उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले लगभग एक हजार वालंटियर जुड़े और गांव- गांव जाकर दरों पर बैठकर बच्चों को शिक्षा देने की अलख जगाने का काम शुरू किया। जल्दी ही जिले में कुछ वालंटियरों की मदद से गांव- गांव घूम-घूम कर प्रवासी मजदूरों के बच्चों को शिक्षा देकर उनके नन्हे सपनों को साकार किया जाएगा। होनहार बच्चों को अच्छे शिक्षण संस्थानों में प्रवेश दिलाना और उनको प्रोत्साहित करने का काम भी किया जाएगा। इसके अलावा स्वच्छ भारत मिशन, जल शक्ति अभियान के लिए भी लोगों को प्रेरित किया जाता है। जिससे नन्हे मुन्ने बच्चों के सपनों को साकार किया जा सके। अभिषेक ने बताया नोएडा, गाजियाबाद, बहराइच समेत कई जिलों में उनके वालंटियर ये काम कर रहे हैं।