एसडीएम, खनन अधिकारी और अब विधायक पर हमला
खीरी जिला वैसे तो बेहद शांत है लेकिन पिछले डेढ़ वर्षों में खनन को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों पर हमले और अब सदर विधायक पर फायरिग की घटना ने सुर्खियों में लाकर खड़ा कर दिया है।
लखीमपुर : खीरी जिला वैसे तो बेहद शांत है लेकिन, पिछले डेढ़ वर्षों में खनन को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों पर हमले और अब सदर विधायक पर फायरिग की घटना ने सुर्खियों में लाकर खड़ा कर दिया है। सफेद बालू के काले कारोबार से लाखों के व्यारे-न्यारे हो रहे हैं, जिसे लेकर चल रही गुटबाजी में कोई भी गुट बर्दाश्त नहीं करना चाहता है। गलियारों में यह चर्चा अब आम हो गई है कि बालू व मिट्टी खनन करने वालों को प्रशासनिक व राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है। हालांकि प्रशासन बार-बार हमलों के बावजूद खनन के कारोबार पर शिकंजा कसने का दावा कर रहा है।
पिछले डेढ़ वर्षों की घटनाओं पर नजर डालें तो पहला हमला एसडीएम सदर अरुण कुमार सिंह पर उस समय हुआ जब वह सूचना मिलने पर खीरी थाना क्षेत्र में बालू से लदी ट्रैक्टर-ट्रॉली पकड़ने गए थे। उस समय पुलिस ने कई ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को सीज कर कई लोगों को पकड़ा था लेकिन, बाद में खनन के कारोबार ने फिर जोर पकड़ लिया। अभी एक माह पहले ही खनन अधिकारी अजीत पांडेय के आवास पर कई राउंड गोलियां चलीं। इस मामले में मुकदमा भी दर्ज हुआ लेकिन, बाद में सब शांत हो गए। होली के दिन सदर विधायक योगेश वर्मा पर फायरिग मामले में जो रिपोर्ट दर्ज कराई गई, उसमें भी यह आरोप लगाया गया कि अवैध खनन का विरोध करने पर ही उन पर जानलेवा हमला हुआ है। इससे पहले भी सदर विधायक अवैध खनन रोकने के लिए सदर कोतवाली में धरना दे चुके हैं। ये तीनों घटनाएं यह दर्शाती हैं कि जिले में खनन को लेकर जिम्मेदार अधिकारी लचर और माफिया के हौंसले बुलंद हैं।
याद आता है इंस्पेक्टर दिवाकर का वायरल ऑडियो
सत्तापक्ष की विधायक मंजू त्यागी से इंस्पेक्टर फूलबेहड़ विद्याराम दिवाकर वार्ता का वायरल ऑडियो काफी सुर्खियां बटोर चुका है। वायरल ऑडियो में खनन को लेकर इंस्पेक्टर और विधायक की कहासुनी हो चुकी है।
जिम्मेदार की सुनिए
एसडीएम अरुण कुमार सिंह कहते हैं कि प्रशासन अवैध खनन पर शिकंजा कस रहा है। जो पट्टे लेकर खनन किया जा रहा है उसे अवैध नहीं कहा जा सकता। अवैध खनन करने वालों को कोई प्रशासनिक व राजनैतिक संरक्षण नहीं प्राप्त है। जहां भी अवैध खनन की सूचना मिलेगी, वहां कार्रवाई होगी।