परिवारजन के प्यार में पुलिस के हत्थे चढ़े थे कमलेश तिवारी के हत्यारोपित
स्लीपिग माड्यूल का संपर्क सूत्र भी माना जाता है। नेपाल पुलिस ने इसे अब चोरी की गाड़ियां खरीदने और उनपर नेपाली नंबर डालकर उन्हे बेंचने के मामले में पकड़ा है।
लखीमपुर: लखनऊ में हिदूवादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या करने के बाद हत्यारोपित नेपाल गए थे और वहां से अपने परिवारीजनों से बात भी की थी। परिवारजन के प्यार में आकर ही वे गुजरात वापस जा रहे थे। अन्यथा उनके पास नेपाल में भूमिगत होने व पाकिस्तान भागने का सुनहरा मौका था। यह मौका नेपाल में गैराज का काम करने वाला एक भारतीय उपलब्ध करा रहा था। नेपाल पुलिस अब उससे पूछताछ कर रही है। पुलिस ने उसे चोरी की कार खरीदने व बेचने के मामले में पकड़ा है।
कमलेश तिवारी के हत्यारोपितों ने अपने काम को तो सही ढंग से अंजाम दिया ही था, वे पुलिस को चकमा देने में भी कामयाब हो गए थे और अपने मददगारों की सहायता से नेपाल भी पहुंच गए थे। हत्याकांड के बाद सही सलामत नेपाल पहुंचना बड़ी सफलता थी क्योंकि वहां से उन्हें पकड़ना लगभग नामुमकिन था, लेकिन परिवारजन के प्यार में पड़कर वे गुजरात एसटीएफ के हत्थे चढ़ गए। अगर हत्यारोपित परिवारजन से बातचीत के बाद गुजरात जाने का फैसला नहीं करते तो उनको पकड़ा नहीं जा सकता था। नेपाल में ही उनके छिपे रहने में कोई दिक्कत नहीं थी। उनके पास नेपाल में भी बड़े-बड़े मददगार थे जो उन्हे छिपाए रख सकते थे। इसके अलावा कुछ समय बाद उनके पाकिस्तान जाने व नेपाल से छद्म नाम से भारत आने का भी मौका था। दरअसल नेपाल पहुंचने के बाद दोनों आरोपित वहां गैराज चला रहे एक शख्स से मिले थे। उसने उनको नेपाल में रुकने का ऑफर दिया था और बाद में मामला शांत होने पर भारत या पाकिस्तान भेजने की बात कही थी। यह शख्स आइएसआइ व भारत में उसके स्लीपिग माड्यूल का संपर्क सूत्र भी माना जाता है। नेपाल पुलिस ने इसे अब चोरी की गाड़ियां खरीदने और उनपर नेपाली नंबर डालकर उन्हे बेचने के मामले में पकड़ा है। पुलिस उससे कमलेश तिवारी के हत्यारोपितों से भी उसके संबंधों को खंगाल रही है। नेपाल पुलिस वैसे तो इस मामले में कुछ भी बता नहीं रही है, लेकिन उसकी जांच में यह तथ्य शामिल हैं।