बीमारी को मिटाना ही भारत यात्रा का असल मकसद
लखीमपुर: अंतरराष्ट्रीय नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजे गए कैलाश सत्यार्थी की भारत यात्रा शनिवार
लखीमपुर: अंतरराष्ट्रीय नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजे गए कैलाश सत्यार्थी की भारत यात्रा शनिवार को खीरी पहुंची। यहां गुरुनानक इंटर कॉलेज के मैदान में यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। भारत यात्रा के लेकर पहुंचे सत्यार्थी ने कहा कि बच्चों के साथ हो रहे अत्याचार को जड़ से मिटाना ही उनकी भारत यात्रा का असल मकसद है। उन्होंने बच्चों के लिए सुरक्षित भारत का आह्वान किया।
उन्होंने भाषण की शुरुआत बचपन के दिनों से की। कहा वह कभी नोबेल पुरस्कार के बारे में सुना करते थे, आज शांति का नोबेल मिला तो गर्व हो रहा है। नोबेल मिलने के बाद उन्होंने बाल ¨हसा के खिलाफ पूरे देश में मुहिम चलाई है। निश्चय किया कि गांव-गांव जाकर वह दरवाजा खटखटाएंगे, लेकिन इस बीमारी को जड़ से मिटाना है। कैलाश सत्यार्थी ने मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश के कार्यक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि कई बच्चियां और बच्चे उनके पास दौड़ते हुए आए और अपना दर्द बताया। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज ¨सह ने उनके कार्यक्रम में भरोसा दिया है कि बाल ¨हसा करने वालों को फांसी देने वाला विधेयक विधानसभा के अगले सत्र में लाया जाएगा। आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने गुंडा एक्ट लगाकर प्रदेश से खदेड़ने का आश्वासन दिया है। उन्होंने बीमारी खत्म करने के लिए लोगों को अपने घर से ही शुरूआत करने की अपील की। कहा माता-पिता अपने बच्चे का भरोसा जीतें। तभी बचपन बचाया जा सकेगा।
यात्रा के पहुंचने पर राज्यसभा सदस्य रवि प्रकाश वर्मा, खीरी सांसद अजय मिश्रा टेनी, धौरहरा सांसद रेखा वर्मा, डीएम आकाशदीप, एसपी डॉ एस चिन्नप्पा, भाजपा जिलाध्यक्ष शरद बाजपेई, सपा जिलाध्यक्ष अनुराग पटेल, कांग्रेस जिलाध्यक्ष राघवेंद्र ¨सह, एमएलसी शशांक यादव, कांति ¨सह, जिला पंचायत अध्यक्ष सुमन नरेंद्र ¨सह, सदर विधायक योगेश वर्मा आदि ने कैलाश सत्यार्थी व उनकी पत्नी डॉ. सुमेधा सत्यार्थी का गुलदस्ता देकर व माला पहनाकर स्वागत किया। सभी वक्ताओं ने कैलाश सत्यार्थी के आगमन को ऐतिहासिक क्षण बताया। इस दौरान पूर्व सांसद पुत्री डॉ पूर्वी वर्मा, विधायक उत्कर्ष वर्मा, विनय तिवारी, डॉ आरए उस्मानी, कृष्ण गोपाल पटेल, रामसरन, पूर्व मंत्री यशपाल चौधरी, सैफ अली नकवी, संजीव वर्मा, तृप्ति अवस्थी, रामू वर्मा, क्रांति कुमार ¨सह, नरेंद्र ¨सह, मोहन बाजपेई, मुन्ना यादव, बजरंग ¨सघल, शेखू मिर्जा, डॉ उमा कटियार, सेवक ¨सह अजमानी, विक्की अजमानी, क्षमा टंडन, पपिल मनार, फादर आलविन, रघुवीर यादव, रेशू त्रिवेदी, संजीव त्रिवेदी, चंदन लाल समेत दर्जनों स्कूलों के सैंकड़ों बच्चे मौजूद थे।
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..जब शीशे में ली थी अपनी ही सेल्फी
कैलाश सत्यार्थी ने नोबेल पुरस्कार मिलने के बाद हुई खुशी के पलों को साझा करते हुए कहा कि उन्होंने नोबेल के बारे में पहली बार बचपन में सुना था। थोड़ा बड़े हुए तो सपना जगा कि नोबेल पुरस्कार विजेता के साथ फोटो खिंचवाई जाए। 50 साल के हुए तो एक बार दलाईलामा से मुलाकात का मौका मिला और मेरी इच्छा थी कि उनके साथ एक फोटो खिचवा ली जाए, लेकिन उस वक्त कोई फोटोग्राफर नहीं मिला। वह क्षण इतनी खुशी का था कि उन्होंने हाथ मिलाया तो मै अपने हाथ को ही काफी देर तौलिए में लपेटे रहा। उन्होंने अपने नोबेल मिलने की कहानी भी बताई। कहा एक भारतीय पत्रकार ने जब सुना कि नोबेल का शांति पुरस्कार एक भारतीय को मिला है तो वह उनसे लिपट गया। तब उन्हें यकीन नहीं हुआ कि उन्हें शांति का नोबेल पुरस्कार मिला है। उन्होंने सोचा नहीं था कि गांधी, नेहरू को जब नोबेल नहीं मिला तो उन्हें कैसे मिलेगा, लेकिन जब यह बात पक्की हो गई तो वह अपने बाथरूम में चले गए और शीशे के सामने खड़े होकर 10-15 सेल्फी ले डाली।
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17 लोग हैं ¨जदा
उन्होंने बताया कि नोबेल के शांति पुरस्कार से नवाजे गए 17 लोग ही दुनिया में ¨जदा हैं और उनकी आपस में बात होती रहती है। कैलाश सत्यार्थी ने बताया कि अमेरिका में सबसे ज्यादा शांति का नोबेल पुरस्कार मिला है। हमारे देश में मानवता-नैतिकता है। वह चाहते हैं कि हमारे देश में भी सबसे ज्यादा नोबेल आए।
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मैं इकलौता पुलिस का बेटा, जिसे नोबेल मिला
कैलाश सत्यार्थी ने कार्यक्रम में आई छात्रा शाइस्ता की चिट्ठी का जवाब देते हुए बताया कि वह मध्यप्रदेश के विदिशा जिले के रहने वाले हैं। जब वो चार-पांच साल के थे तो स्कूल जाते समय रास्ते में उन्हें एक बच्चा अपने पिता के साथ जूता पालिश करते हुए दिखाई देता था। उन्होंने ये बात स्कूल टीचर और परिवार वालों को भी बताई कि बच्चा स्कूल नहीं जा रहा है। किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। उन्होंने बताया कि उनके पिता सिपाही थे, जिनकी जल्दी ही मौत हो गई थी। वह लोग खपरैल के घर में रहते थे। जहां बारिश होती रहती थी। उनकी मां ने अपने जेवर बेचकर इंजीनिय¨रग कराई, लेकिन उन्होंने नौकरी छोड़ दी और बच्चों के भविष्य को सुंदर बनाने निकल पड़े।
आज गोला के कृषक समाज कालेज में सत्यार्थी
विश्व विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी का कार्यक्रम गोला के कृषक समाज इंटर कालेज में पूर्वान्ह 11 बजे से होगा। उनको सुनने के लिए क्षेत्र के हजारों छात्र-छात्राएं वहां मौजूद रहेंगे।