राजनीति में मुकाम के लिए बाबा के पदचिन्हों पर चल रहा था अमन
लखनऊ विश्वविद्यालय में थी जुझारू छात्रनेता की पहचान। बाबा रामराखन के संस्कारों पर चलते हुए उसने राजनीतिक पृष्ठभूमि में समाज सेवा चुनी था।
लखीमपुर: अमन अपने बाबा के पदचिन्हों पर चलकर राजनीति में मुकाम हासिल करना चाहता था। बाबा रामराखन के संस्कारों पर चलते हुए उसने राजनीतिक पृष्ठभूमि में समाज सेवा चुनी था। इंटरमीडिएट के बाद उच्च शिक्षा के लिए उसने लखनऊ विश्वविद्यालय में एलएलबी कोर्स में प्रवेश लिया। विश्वविद्यालय में जुझारू छात्रनेता के रूप में पहचान बनाई। कोरोना काल में गोला स्थित अपने घर में परिवार के साथ रह रहा था। शाम छह बजे सौतेला चाचा जमीन बंटवारे के लिए घर आया और कहासुनी करने लगा। अमन ने बीच-बचाव करते हुए चाचा को समझाने का प्रयास किया। उस वक्त तो मामला किसी तरह टल गया। किसे पता था कि अमन का आपस में समझदारी से मसला हल कराने का प्रयास उसकी जान का दुश्मन बन जाएगा। देर रात जब दोबारा कुलदीप उनके घर पहुंचा तो परिवार को उम्मीद नहीं थी कि कुलदीप इतना बड़ा कदम उठा लेगा।
अमन के पिता विजय व उनकी पत्नी तथा भाई रोते हुए बताते हैं कि कभी सोचा नहीं था कि इस तरह आंखों के सामने उनका बेटा उनसे अलविदा हो जाएगा और वह कुछ नहीं कर पाएंगे। गोली लगने के बाद उसे तड़पते देखने के बाद उसकी मौत का मंजर वह कभी भुला नहीं सकेंगे।