जिओ बैग की कमी से कटान रोकने के कार्य में बाधा
नदी करने लगेगी कटान साहब तब क्या देंगें ध्यान। जून का महीना समाप्त हो गया है लेकिन कटान रोकने का काम अब भी कछप की गति से चल रहा है।
लखीमपुर: हर साल शारदा के कटान की समस्या जब सामने आती है तब विभाग जागता है। फिर उसके रोकथाम को लेकर कार्य करता है। जैसे जैसे मानसून का समय नजदीक आता जा रहा है नदी के किनारे बसे ग्रामीणों की बेचैनी भी बढ़ती जा रही है। जून का महीना समाप्त हो गया है, लेकिन कटान रोकने का काम अब भी कच्छप की गति से चल रहा है जबकि इस समय तक कटान रोकने के लिए बंधे आदि का मुकम्मल इंतजाम हो जाना चाहिए था।
बाढ़ आने के बाद नदियों में उफान आ जाता है उस वक्त कोई भी कार्य कराना संभव नहीं होता, लेकिन सिचाई विभाग उस समय ही चेतता है। तब सभी के पास खुद की बर्बादी देखने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचता है। बुधवार को पलिया तहसील के कटान क्षेत्र ढकिया में नदी के किनारे करीब आठ सौ मीटर बांधे जा रहे बंधे का जायजा लिया गया तो बंधे पर करीब आठ दिन से कार्य बंद पड़ा है। वहीं मौके पर मौजूद अवधेश कुमार सर्वेश गुप्ता मटेरियल व लेबर इंचार्ज ने बताया की जिओ बैग की बोरियां नहीं मिल पा रही हैं जिसके चलते कार्य कुछ समय के लिए रोक दिया गया है। जैसे ही बोरियां उपलब्ध हो जाएंगी कार्य शुरू कराया जाएगा।
ढकिया गांव निवासी दयाराम ने बताया कि नदी में पानी दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है जिससे खतरा भी बढ़ रहा है। करीब आठ दिन से बंधे का कार्य रुका हुआ है जिससे ग्रामीणों में रात और दिन खतरे की आशंका बनी हुई है। दयाराम ने यह भी बताया कि बंधे के किनारे उसका दो एकड़ का खेत है जिसमें वह प्रत्येक वर्ष फसल की बोवाई करता है, लेकिन इस बार बंधे की रेत उसके खेतों के किनारे डाल दी गई है जब तक वह नहीं हट सकती तब तक वह उसमें फसल नहीं बो पाएगा। जंगल नंबर सात ढकिया क्षेत्र में गांवों को कटान से बचाने के लिए प्रत्येक वर्ष कार्य होते हैं, लेकिन इस वर्ष जून माह समाप्त हो गया है और तटबंध का कार्य समाप्त नहीं हो पाया है। अभी कुछ दिन पहले जिलाधिकारी ने इस तटबंध का निरीक्षण कर कार्य को ससमय समाप्त करने का आदेश भी दिया था।