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नेपाल सीमा से जुड़े जिलों में पांव पसार रहा जापानी बुखार

-अब तक हुईं 50 मौतें, मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है यह बीमारी विकास सहाय, ल

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Apr 2018 05:35 PM (IST)Updated: Wed, 25 Apr 2018 05:35 PM (IST)
नेपाल सीमा से जुड़े जिलों में पांव पसार रहा     जापानी बुखार
नेपाल सीमा से जुड़े जिलों में पांव पसार रहा जापानी बुखार

-अब तक हुईं 50 मौतें, मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है यह बीमारी

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विकास सहाय, लखीमपुर

जिले में एईएस तथा जापानी इंसेफेलाइटिस के प्रकोप से अब तक एक दर्जन से अधिक बच्चे बीमार हो चुके हैं। इसमें से अब तक दो की मौत हो चुकी है। जबकि पिछली साल 228 बच्चे बीमार हुए थे। मौसम के बढ़ते पारे के चलते इस बार भी इसकी संभावनाएं ज्यादा है। यदि जापानी इंसेफेलाइटिस पर गौर किया जाए तो यह बीमारी पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से जुड़े हुए जिलों में ज्यादा फैल रही है। जिसके लिए शासन की ओर से भी प्रयास किए जा रहे हैं। पिछले वर्ष गोरखपुर जिले में भी जापानी इंसेफेलाइटिस से सैकड़ों बच्चों की मौत हुई थी।

विशेषज्ञों का कहना है कि तराई क्षेत्र के इन जिलों में सीलन होने के कारण तथा पानी में आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा होने के कारण यह बीमारी फैल रही है। क्योंकि इन क्षेत्रों में मच्छर भी अधिक है। पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से जुड़े खीरी के अलावा बहराइच, शाहजहांपुर, श्रावस्ती, बलरामपुर समेत ऐसे कई जिले हैं जो तराई क्षेत्र के जिले हैं। गत वर्ष के बीमारों की संख्या पर बात करें तो 228 में से 26 मामले पड़ोसी जिला सीतापुर और शाहजहांपुर पीलीभीत के थे इसमें से कुछ मामले नेपाल के बीच है। सिर्फ 202 मामले खीरी जिले के थे इसमें 167 केस एईएस के थे जिसमें 40 मौतें हुई थी। इसी तरह 35 मामले जापानी इंसेफेलाइटिस के थे। जिसमें आठ मौतें हुई थी।

कैसे फैलता है जापानी बुखार : जिला अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आरपी वर्मा का कहना है कि एईएस अपने आप में कोई बीमारी नहीं है। यह कई बीमारियों का समूह है, जिसकी जांच के बाद यह बात मालूम की जाती है कि जापानी इंसेफ्लाइटिस है या नहीं। जापानी इंसेफेलाइटिस या जेई तराई के उन क्षेत्रों में फैलता है जहां ज्यादातर धान और गन्ने की फसल होती है, क्योंकि पानी भरे रहने से मादा क्यूलेक्स मच्छर पैदा होता है। जिसके काटने से यह बीमारी होती है। दिमाग में सूजन आ जाने से बेहोशी छाने लगती है और मरीज गंभीर हो जाता है।

केंद्र सरकार ने दिए हैं 40 आइसीयू : इस बारे में क्षेत्रीय सांसद अजय मिश्र टेनी का कहना है कि जापानी इंसेफेलाइटिस के इलाज के लिए केंद्र सरकार ने बड़े पैमाने पर काम किया है। यह बीमारी ज्यादातर नेपाल से सटे तराई के इलाकों में फैल रही है। इसका मुख्य कारण वहां के पानी में आर्सेनिक होना भी है। अजय मिश्र टेनी बताते हैं कि उन्होंने लोकसभा में यह मुद्दा उठाया था, जिसके परिणाम स्वरूप केंद्र सरकार ने तमिलनाडु, असम, पश्चिम बंगाल समेत यूपी में कुल 40 आइसीयू बनवाए हैं। सभी राज्यों में दस-दस आइसीयू बनाए गए हैं। लखीमपुर के आइसीयू में पांच बेड और बढ़ाए गए हैं। जापानी इंसेफेलाइटिस के बीमारों को किसी तरह की कोई दिक्कत न हो इसके लिए सरकार प्रयासरत है।


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