भाविप ने नासूर बन चुके अतिक्रमण को हटवाने की उठाई आवाज
अतिक्रमण शहर में धीरे-धीरे नासूर बन चुका है शहर के फुटपाथ तो खत्म हो ही चुके थे अब फुटपाथ में से आगे तक खड़े हुए वाहन लगा दुकानों का बारदाना शहर का चलन बन चुका है। सबसे ज्यादा यह समस्या गल्ला मंडी से लेकर अस्पताल रोड तक है जहां एंबुलेंस हंसने के ²श्य कभी भी देखे जा सकते हैं। न्यायालय के आदेशों के बावजूद जिला अस्पताल के आस पड़ोस का अतिक्रमण खत्म नहीं किया जा सका।
लखीमपुर: अतिक्रमण शहर में धीरे-धीरे नासूर बन चुका है शहर के फुटपाथ तो खत्म हो ही चुके थे, अब फुटपाथ में से आगे तक खड़े हुए वाहन लगा दुकानों का बारदाना शहर का चलन बन चुका है। सबसे ज्यादा यह समस्या गल्ला मंडी से लेकर अस्पताल रोड तक है जहां एंबुलेंस हंसने के ²श्य कभी भी देखे जा सकते हैं। न्यायालय के आदेशों के बावजूद जिला अस्पताल के आस पड़ोस का अतिक्रमण खत्म नहीं किया जा सका। इसे प्रशासन की लापरवाही कहें या असहाय की स्थिति।जो भी हो फिलहाल उन मरीजों के लिए जरूर दिक्कत है जो गंभीर रूप से बीमार हैं और जिन्हें जल्दी से जल्दी अस्पताल पहुंचाना होता है।
शहर के बढ़ते हुए अतिक्रमण को खत्म करने के लिए जिला प्रशासन और नगर पालिका भी पूरी तरह नाकाम हो चुका है।शहर का शायद ही कोई मार्ग हो जो अतिक्रमण से ग्रस्त न हो इसके चलते आए दिन दुर्घटनाएं भी होती है लेकिन प्रशासन को इस से कोई मतलब नहीं।
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भारत विकास परिषद ने सौंपा 10 सूत्रीय ज्ञापन
शहर में बढ़ते हुए अतिक्रमण को खत्म करने के लिए भारत विकास परिषद ने डीएम को ज्ञापन सौंपा है नगरपालिका क्षेत्र में पार्कों के आसपास सड़कों पर लगे फ्लेक्स होर्डिंग व्यापारियों के द्वारा किए गए। अतिक्रमण सभी को इंगित करते हुए परिषद ने कहा है कि इससे आकस्मिक सेवाएं जैसे फायर ब्रिगेड एंबुलेंस स्कूली विद्यार्थी और सीनियर सिटीजन के लिए भी सड़क पर चलना मुश्किल है। 9 सूत्री ज्ञापन में कहा गया है जिला अस्पताल और महिला अस्पताल के आसपास में जो फुटपाथ बनाया गया है उसे अतिक्रमण मुक्त कराया जाए और अन्य वाहनों के द्वारा अस्थायी स्टैंड बनने से रोका जाए। पार्किंग के लिए जगह सुनिश्चित की जाए। शहीद राजनारायण मिश्र पार्क, डॉ. बीआर अंबेडकर पार्क, महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री पार्क, मैदान के द्वारा किए गए अतिक्रमण से मुक्त कराया जाए। सोमवार की सुबह कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचकर ज्ञापन देने वालों में भारत विकास परिषद के संरक्षक रमेश कुमार वर्मा, सचिव परम वर्मा,अध्यक्ष अनिल शुक्ला, वित्त सचिव विनोद कुमार तौलानी, उपाध्यक्ष घनश्याम शर्मा, मानवेंद्र सिंह संजय, विपुल सेठ समेत काफी संख्या में परिषद के सदस्य और पदाधिकारी शामिल थे।