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फसल बढ़ेगी और खाद व पानी भी बचेगा

बुधवार देरशाम डीएम अरविद कुमार चौरसिया पलिया के ग्राम विक्रम वन में 33.28 हेक्टेयर क्षेत्रफल में ड्रिप सिंचाई स्वचालित प्रणाली को देखने पहुंचे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Jul 2021 10:36 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jul 2021 10:36 PM (IST)
फसल बढ़ेगी और खाद व पानी भी बचेगा
फसल बढ़ेगी और खाद व पानी भी बचेगा

लखीमपुर: बुधवार देरशाम डीएम अरविद कुमार चौरसिया पलिया के ग्राम विक्रम वन में 33.28 हेक्टेयर क्षेत्रफल में स्थापित ड्रिप इरीगेशन आटोमेशन सिस्टम (ड्रिप सिंचाई स्वचालित प्रणाली) को देखने जा पहुंचे। पीएम कृषि सिचाई योजना का यह खीरी जिले का ही नहीं बल्कि प्रदेश का पहला सिस्टम है।

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निरीक्षण में डीएम को डीएचओ दिग्विजय कुमार ने बताया कि इस सिस्टम से किसान खेत में आवश्यकतानुसार सिचाई व खाद या उर्वरक पौधों में सप्लाई कर सकेंगे।

संयत्र स्थापित करने वाली निर्माता फर्म में जैन इरीगेशन सिस्टम लि जलगांव के प्रतिनिधि प्रमोद कुमार यादव व उनकी टीम ने बताया कि इस सिचाई प्रणाली में एक प्रोगाम सेट किया जाता है, जिससे कंट्रोल वाल्व स्वयं ही खुलते व बंद होते हैं। न्यूट्रिक एयर सिस्टम के जरिये पौधों की जरूरत के अनुसार खाद व उर्वरक सप्लाई किया जाता है।

कृषक कमल सिंह सहित 14 अन्य के प्रक्षेत्र पर क्लस्टर के रूप में लगा संयंत्र प्रदेश का प्रथम ड्रिप सिचाई सिस्टम है। इस प्रकार का सिस्टम अन्य प्रदेशों मे भी नहीं लगा है। डीएचओ ने बताया कि उद्यान व गन्ना विभाग के समेकित प्रयासों से धौरहरा तहसील में भी इस तरह का संयंत्र स्थापित करने की पूरी कार्ययोजना तैयार है। शीघ्र ही यह संयंत्र वहा भी स्थापित किया जाएगा। ड्रिप इरीगेशन से पानी, खाद, लेबर के खर्चे में बचत

ड्रिप इरीगेशन में पानी व खाद की बचत के अलावा लेबर का भी खर्चा कम होता है। इसमें पानी की फिटिग की मेन और सब मेन लाइन जमीन में होती है। फसल की जरूरत के मुताबिक ही पानी दिया जाता है। पतराल सूखी रहने से फसल को बीमारियां भी कम लगती हैं। ड्रिप इरीगेशन में 40-50 फीसदी पानी और 20-25 फीसदी खाद की बचत होती है। वहीं, फसल का उत्पादन 20-25 फीसदी बढ़ता है। निरीक्षण के दौरान डीडी कृषि योगेश प्रताप सिंह, डीसीओ बीके पटेल भी साथ में मौजूद थे। पलिया ब्लाक के ग्राम विक्रम वन में पीएम कृषि सिचाई योजना के तहत स्वचालित प्रणाली को लगाया गया है। इसके जरिए किसान अपने कम्प्यूटर या मोबाइल से सिचाई प्रणाली में एक प्रोग्राम सेट किया जाता है। जिसमें कंट्रोल वाल्ब स्वयं ही खुलते व बंद होते है। न्यूट्रिक एयर सिस्टम के जरिए पौधों की जरूरत के अनुसार खाद व उर्वरक की आपूर्ति की जाती है। इसके अलावा पूर्ण सिस्टम दो तरीके से संचालित है। पहले टाइमबेस व दूसरा वाल्यूम बेस दोनों ही तरीकों से पौधों की आवश्यकतानुसार सिचाई व आवश्यक न्यूट्रीशियन उपलब्ध कराए जाते हैं। ड्रिप एरीगेशन में 40 से 50 फीसद पानी और 20 से 25 फीसद खाद की बचत होती है। साथ ही फसल का उत्पादन भी 25 फीसद तक पड़ता है।

दिग्विजय कुमार भार्गव

जिला उद्यान अधिकारी


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