मालती के समूह से निकली महिलाओं की समृद्धि की राह
विकास खंड पलिया के भानपुरी खजुरिया गांव की महिलाओं ने अपनी मेहनत और लगन से न सिर्फ अपने घर के हालात सुधारे बल्कि स्वयं सहायता समूह बनाकर अपनी एक अलग पहचान बनाई। यह सब संभव हो सका इसी गांव की मालती मौर्या के प्रयासों से। बिहार से अप्रैल 2017 में आई समूह की महिलाओं की मुलाकात मालती से हुई और उन्होंने समूह बनाने की प्रेरणा दी।
लखीमपुर : विकास खंड पलिया के भानपुरी खजुरिया गांव की महिलाओं ने अपनी मेहनत और लगन से न सिर्फ अपने घर के हालात सुधारे बल्कि स्वयं सहायता समूह बनाकर अपनी एक अलग पहचान बनाई। यह सब संभव हो सका इसी गांव की मालती मौर्या के प्रयासों से। बिहार से अप्रैल 2017 में आई समूह की महिलाओं की मुलाकात मालती से हुई और उन्होंने समूह बनाने की प्रेरणा दी। एनआरएलएम के जरिए मालती ने गांव की महिलाओं को जोड़कर समूह बनाया और उन्हें प्रशिक्षण दिलाया। मालती के समूह की महिलाओं की कड़ी मेहनत से समृद्धि की राह निकली और कल तक दो-चार रुपये के लिए परिवार के मुखिया पर निर्भर महिलाएं अब अच्छी-खासी कमाई कर रही हैं। पिछले माह लखीमपुर में आयोजित दुग्ध संघ के कार्यक्रम में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के भी कई स्टाल लगाए गए थे। समूह की महिलाएं कई उत्पाद का निर्माण कर रही हैं। एनआरएलएम से 15 हजार रुपये रिवाल्विग फंड के रूप में और 1.10 लाख रुपये कर्ज के रूप में मिले थे। इसके अलावा प्रति सप्ताह दस रुपये समूह की महिलाओं ने जोड़कर रकम तैयार की।
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सस्ते और अच्छे होते हैं टेडीबियर
कमल प्रेरणा समूह से जुड़ी सभी महिलाएं पांच से छह हजार कमा रही हैं। अध्यक्ष मालती ने बताया कि उनके बनाए टेडी बियर सस्ते और अच्छे होते हैं। टेडीबियर 200 से लेकर 500 रुपये, बैग 200 से 300 रुपये, शीशे से बने सामान 300 से 500 रुपये और झूमर 500 रुपये से लेकर एक हजार रुपये की कीमत तक बिक्री किए जाते हैं। इस समिति के बनाए बैग जिले के सभी प्रमुख कस्बों में बिक रहे हैं। समूह में 154 महिलाएं जुड़ चुकी हैं। सभी महिलाएं स्वावलंबी बन चुकी हैं।
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दस हजार रुपये से शुरू किया कारोबार
समूह ने 10 हजार रुपये से कारोबार शुरू किया था। अब समूह की महिलाएं महीने में 5-6 हजार रुपये तक कमा रही हैं। महिलाएं बुके बनाकर अच्छी आमदनी कर रही हैं। समूह की महिलाएं कई उत्पाद बना रही हैं। चाभी छल्ला, झूमर और बैग के अलावा कई अन्य उत्पाद बना रही हैं। समूह की महिलाएं कर्ज लेकर अपना व्यवसाय कर रही हैं। इसके कपड़े की दुकान, चाय, नमकीन, बिस्किट, वेल्डिंग व पंचर जोड़ने का काम करने के लिए समूह की सदस्यों को ब्याज पर कर्ज दिया जा रहा है। महिलाएं स्वनिर्मित सामान को जिले की बाजारों में और लगने वाली प्रदर्शनियों और मेलों में बिक्री करती हैं।