95.56 लाख में नीलाम हुई वन संपदा, जड़ी-बूटी की ज्यादा डिमांड
कोरोना काल में गिलोय सतावर सफेद मूसली जैसी वनस्पतियों के लिए खूब लगी बोली। पिछले वर्ष 15 लाख में नीलाम जंगल की जड़ी-बूटी ने इस बार 20 लाख रुपये का राजस्व दिया।
लखीमपुर : कोरोना से बचाव के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रही जड़ी-बूटियों की डिमांड बढ़ती जा रही है। खासकर तराई में संरक्षित किए गए जंगलों की गिलोय, सतावर, सफेद मूसली, ऐला फली, बेल सेमल के फूल, छोटी पीपली, बड़ी पीपली जैसी जड़ी-बूटियों की नीलामी के लिए खूब बोली लगी। नतीजा यह रहा कि पिछले वर्ष 15 लाख में नीलाम हुई जंगल की जड़ी-बूटी ने इस बार 20 लाख रुपये से अधिक का राजस्व दिया है। अधिकारियों के मुताबिक, कोरोना काल में सबसे ज्यादा जड़ी-बूटी की लाटों को लेने की होड़ रही, क्योंकि जड़ी-बूटी शरीर का इम्युनिटी सिस्टम दुरुस्त रखने में काफी मददगार साबित हो रही है।
इस बार नीलामी प्रक्रिया में बफरजोन के भीरा व मैलानी रेंज को छोड़कर पलिया, संपूर्णानगर, उत्तर निघासन, दक्षिण निघासन, धौरहरा रेंज में वन संपदा की बीते सोमवार को नीलामी की है। इसमें नदियों-तालाबों की मछली सबसे ज्यादा 51 लाख, छप्परबंदी वाली घास 7.51 लाख, शहद मोम 56 हजार, जंगल का बेत 16.10 लाख रुपये में नीलाम हुई है।
डीडी बफरजोन डॉ. अनिल कुमार पटेल का कहना है कि नीलामी प्रक्रिया में सबसे ज्यादा राजस्व मछली से मिला है, लेकिन बोली सबसे अधिक जड़ी-बूटी के लिए लगाई गई। बताया कि भीरा-मैलानी रेंज किशनपुर सेंच्यूुरी से सटा हुआ संरक्षित क्षेत्र है, इसलिए इन दो रेंजों में वन संपदा की नीलामी नहीं कराई गई है।