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बीएलए बनाने में बसपा सबसे आगे

लखीमप र : लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियां तेजी से चल रही हैं। घर-घर पहुंचकर वोट बनान

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 11:19 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 11:19 PM (IST)
बीएलए बनाने में बसपा सबसे आगे
बीएलए बनाने में बसपा सबसे आगे

लखीमप र : लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियां तेजी से चल रही हैं। घर-घर पहुंचकर वोट बनाने और विशेष अभियान के दिन बूथों पर मौजूद रहकर बीएलओ मतदाताओं का पंजीकरण कर रहे हैं लेकिन, हैरत की बात है कि वोट लेने वाले राजनैतिक दल इस ओर कतई ध्यान नहीं दे रहे हैं। बसपा को छोड़ किसी भी मान्यता प्राप्त राजनैतिक दल ने चुनाव कार्यालय को अभी तक अपने बीएलए की सूची नहीं सौंपी है।

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चुनाव कार्यालय के मुताबिक राष्ट्रीय दलों में भाजपा, बसपा, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी, इंडियन नेशनल कांग्रेस, भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी और कम्युनिष्ट पार्टी आफ इंडिया मान्यता प्राप्त दल हैं। जबकि सपा और राष्ट्रीय लोकदल राज्यीय पार्टी के रूप में पंजीकृत हैं। पिछले दिनों डीएम शैलेंद्र कुमार ¨सह ने सभी दलों के साथ बैठक कर बीएलए बनाने पर जोर दिया था। इन दलों के प्रतिनिधियों को आठों विधानसभाओं की मतदाता सूची प्रशासन की ओर से उपलब्ध करा दिया गया। साथ ही मतदाता पुनरीक्षण कार्य के लिए बूथवार बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) बनाने को कहा गया था लेकिन, अब तक इन दलों में बसपा ने सभी विधानसभाओं और सपा ने दो विधानसभाओं के बीएलए के नामों की सूची चुनाव कार्यालय को सौंपी है। इसके अलावा अन्य किसी भी दल ने बीएलए की सूची नहीं सौंपी है।

अधिकतम 30 वोट बढ़वा सकते हैं बीएलए

राजनैतिक दलों के बनाए गए बीएलए एक बार में 10 फार्म तथा अधिकतम 30 फार्म बीएलओ को दे सकते हैं। आयोग का निर्देश है कि इससे अधिक फार्म किसी भी बीएलए से नहीं लिया जा सकता है। अब तक चलाए गए मतदाता पुनरीक्षण अभियान के दौरान बीएलए स्तर से एक भी फार्म नहीं जमा कराए गए हैं।

कैंपों में आए फार्मों की पहले होगी जांच

चुनाव के दौरान आम तौर पर राजनैतिक दलों द्वारा कैंप लगाकर मतदाताओं से फार्म भरवाए जाते हैं। यहां गौर करने वाली बात ये है कि ऐसे कैंपों में सैकड़ों की संख्या में फार्म आते हैं। कई-कई बार तो आखिरी समय में राजनैतिक दल चुनाव अधिकारियों से संपर्क कर फार्म दे देते हैं। एडीएम अरुण कुमार ¨सह का कहना है कि अगर राजनैतिक दल कैंप लगाकर फार्म भरवाते हैं तो ये उनका सहयोग है। चूंकि प्रावधान है कि एक बार में बीएलओ 10 फार्म ही ले सकता है। इसलिए अगर किसी राजनैतिक दल द्वारा इकठ्ठा फार्म दिया जाता है तो पहले ये जांच कराई जाएगी कि इतनी बड़ी संख्या में मतदाता कैसे छूटे हुए थे। जांच के बाद ही मतदाता सूची में नाम शामिल किए जाएंगे।


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