कब बनेगा शारदा नदी के पंचपेड़ी घाट का पुल
लखीमपुर खीरी संसदीय क्षेत्र की दो विधानसभाओं को जोड़ने वाला पंचपेड़ी घाट का पुल जोकि शारदा
लखीमपुर: खीरी संसदीय क्षेत्र की दो विधानसभाओं को जोड़ने वाला पंचपेड़ी घाट का पुल जोकि शारदा नदी पर बनना था आजादी के बाद से अब तक केवल नेताओं का जुमला ही बना रहा पर पुल नहीं बन सका। खीरी लोकसभा क्षेत्र की दो विधानसभाओं श्रीनगर व निघासन की 12 लाख से अधिक की आबादी शारदा नदी पर करीब छह किलोमीटर लंबे इस खतरनाक पैंटून पुल पर गुजरने को विवश है। जनता का वोट लेने के लिए चुनाव से पहले इस पुल का कई बार केंद्र व राज्य की सरकारों ने सर्वे तेा किया लेकिन उसकी रिपोर्ट कहा ? किस दफ्तर में धूल फाक रही है इसकी जानकारी किसी को नहीं। इस पुल के बनने के बाद जिले का निघासन कस्बा जो अभी जिला मुख्यालय से करीब साठ किलोमीटर है वह महज 35 किलोमीटर रह जाएगा। मगर खीरी लोकसभा क्षेत्र की ये बड़ी जरूरत अब तक नेताओं की प्राथमिकता सूची में नहीं आ सकी। इस मुद्दे की नाव बनाकर कई चुनावों में विभिन्न पदों के दावेदारों ने अपनी नाव से शारदा नदी को पार किया है, लेकिन नदी को पार करने से चुनाव में उनकी नैया पार हो गई तो दोबारा वह इस ओर देखने तक नहीं आए। ये हर साल होता है तब से जब से देश आजाद हुआ और शारदा नदी का विस्तार हुआ। पक्का पुल बनाने में नाकाम लोक निर्माण विभाग को मजबूरन हर साल नदी में पानी घटते ही पीपों का पुल बनाना पड़ रहा है। इस पुल के न बनने से आजादी के बहत्तर साल बाद भी लोग नाव से आवागमन करते हैं और नया भारत यहा ऐसे ही परिदृश्य में देखा जाता है। लोकसभा क्षेत्र में विकास का हाल गाव देहात में ही नहीं मुख्यालय लखीमपुर तक में है। यहा बेहद घने रिहायशी इलाके में खुला रोडवेज बसअडडा पूरा दिन शहर की जनता को जाम के झाम में बाधता है। इसे बाहर निकालने या शहर से दूर करने के इंतजाम भी अब तक नहीं हो सके।
निदान
पंचपेड़ी घाट पुल बनाने के लिए यूपी ब्रिज कारपोरेशन ने अकेले बना पाने में अक्षमता जताई है इसलिए जरूरी है कि किसी बड़ी कार्यदायी संसथा को पंचपेड़ी घाट का पुल बनाने का जिम्मा सौंपा जाए। इस पुल की लंबाई करीब छह किलोमीटर है और प्रतिदिन दो सौ से अधिक भारी वाहनों का आवागमन रहता है इसलिए जरूरी है कि उसकी मजबूती का भी ध्यान दिया जाए। साथ ही लखीमपुर शहर से रोडवेज बस स्टैंड को तत्काल बाहर किया जाना चाहिए साथ एक डिपो में जो सेवाएं होती हैं वह यहा भी बहाल कराना नेता अपनी प्राथमिकता में शामिल करें।
कब सुधरेगी जिले की बदहाल शिक्षा व्यवस्था
करीब 18 लाख मतदाताओं वाली खीरी लोकसभा क्षेत्र में शिक्ष्रा की व्यवस्था खस्ताहाल है और ये किसी नेता के चुनावी वादे सा एजेंडे में इस बार भी शामिल नहीं है। हालात ये हैं कि आजादी के 72 साल बाद भी लखीमपुर में कक्षा छह से 12 तक विज्ञान छात्राओं के विज्ञान पढने को केवल एक राजकीय कन्या इंटर कालेज है जिसमें भी टीचर हैं न लैब। बात अगर उच्च शिक्षा की करें तो बीएसएसी में केवल एक डिग्री कालेज और उसमें भी सीटें जैसे ऊंट के मुंह में जीरा। तकनीकी शिक्षा के नाम पर कागजों पर चलते आइटीआइ, पालीटेक्निक और कृषिविश्व विद्यालय। लेकिन इनमें एक भी ऐसा संस्थान नहीं जिसका लाभ जिले के युवाओं को मिल सके। जो चल रहे हैं उनमें सीटें न के बराबर जो बंद हैं वह कब शुरू होंगे ये बताने वाला कोई नहीं। बात अगर सरकारी स्कूल कालेजों के भवन की करें तो राजकीय कन्या इंटर कॉलेज का मुख्य भवन गिरने की कगार पर है। 106 साल पुराने इस भवन में करीब 400 से अधिक बच्चों के बैठने की क्षमता है। ब्रिटिश काल 1913 में बनाया गया यह भवन अब जगह-जगह से न केवल टूट चुका है बल्कि यह कभी भी गिर सकता है। अकेले जिला मुख्यालय के ही ये हालात नहीं पलिया डिग्री कालेज, निघासन का जीआईसी और जिले भर के सरकारी शिक्षण संस्थाएं ऐसी ही हैं।
निदान
सबसे पहले जिले में सभी राजकीय स्कूल , कालेजों, डिग्री कालेजों व तकनीकी शिक्षण संस्थाओं को उच्चीकृत किया जाना चाहिए। यहा के भवनों और स्टाफ की कमी को भी प्राथमिकता से पूरा किया जाना चाहिए। बालिका को विज्ञान वर्ग की शिक्षा व उच्च शिक्षा के लिए प्रभावी इंतजाम करने होंगे। इसके अलावा जिले के गिरताऊ स्कूलों को शासन के द्वारा पुन: नए सिरे से बनवाना चाहिए। इनके भवन गिराकर नए मॉडल में बेहतर इमारतें बनानी चाहिए। कुछ साल पहले विद्यालयों में भूकंप रोधी भवन के मॉडल प्रस्तुत किए गए थे और कुछ विद्यालयों को बनाया भी गया था। इसी तरह नए भवन जो गिरने वाले हैं उन्हें गिराकर नहीं मारते बनानी चाहिए और शिक्षकों की पर्याप्त मात्रा में भर्ती करवानी चाहिए।