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खटारा वाहनों से मौत का सफर मगर जिम्मेदार हैं बेखबर

गीय परिवहन अधिकारी पीके सिंह का कहना है कि बराबर कार्रवाई की जाती है। ओवरलोडिग को लेकर जो अभियान चलाया गया उसमें भी 20 के आसपास वाहनों का चालान किया गया है। जहां तक सवाल पिकअप या मैजिक का है तो खटारा वाहन उन्हें कहते हैं जिनकी मियाद समाप्त हो चुकी है। 15 वर्ष से ऊपर हो चुके हैं उनका रजिस्ट्रेशन का समय निकल चुका है। लेकिन जो अभी समय सीमा के अंदर है और जिन से व्यवसाय किया जा सकता हैउन्हें खटारा वाहन नहीं कर सकते सकते कुछ एक बाहर से टूटे-फूटे वाहन यदि है तो इसके लिए वे स्वयं जिम्मेदार हैं। नियमावली के मुताबिक खटारा वाहन वही माने जा सकते हैं जिनकी मियाद समाप्त हो चुकी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 10:09 PM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2019 10:09 PM (IST)
खटारा वाहनों से मौत का सफर मगर जिम्मेदार हैं बेखबर
खटारा वाहनों से मौत का सफर मगर जिम्मेदार हैं बेखबर

लखीमपुर: शहर के प्रमुख मार्गों से लेकर हाइवे और शहर से बाहर तक खटारा वाहनों का आवागमन धड़ल्ले से जारी है और परिवहन विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है। दावे बहुत कुछ हैं, लेकिन हकीकत और दावों में जो अंतर है उसे सड़क पर समझा जा सकता है। जहां मैजिक पिकअप बाहर तक सवारी लटका कर लोगों को सफर करवा रहे हैं। कई बार तो यह सफर मौत का सफर तक बन जाता है। कभी लाइट तो कभी डाला टूटा हुआ और कभी दोनों तरफ की खिड़कियां टूटी सवारियों के बैठने की कोई व्यवस्था नहीं। मैजिक पिकअप ही नहीं शहर के अंदर चल रहे टेंपो भी इसी स्थिति से गुजर रहे हैं, ओवर लोडिग तो कम होने का नाम ही नहीं ले रही। हालात यह है कि इन मैजिक पिकअप और टेंपो में ठंड के दिनों में तो हवा तक आरपार लगती है। अंधेरे में आते वक्त यह भी नहीं मालूम होता कि सामने से कोई गाड़ी आ रही है, लेकिन सब कुछ भगवान भरोसे है।

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इन रास्तों पर ज्यादा हैं खटारा वाहन

शहर के गांधी विद्यालय चौराहा से रामापुर, नकहा, खमरिया, धौरहरा जाने के लिए बस्ती मार्ग पर ऐसे वाहन देखे जा सकते हैं। इसके अलावा धर्मसभा इंटर कॉलेज के पास से अलीगंज जाने के लिए जो पिकअप खड़ी होती है या टेंपो इनमें भी ऐसे वाहन आपको दिख जाएंगे। जिनकी या तो आगे की लाइट गायब होगी या पीछे की। कुछ में तो खिड़की के शीशे ही नहीं होंगे। इतना ही नहीं यह वाहन धुंआ भी जरूरत से ज्यादा फेक रहे होंगे, लेकिन इन सबसे सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी को कोई लेना देना नहीं होता। ओवर ब्रिज के नीचे खड़े होने वाले टेंपो भी ऐसी स्थिति में दिखेंगे, लेकिन आम जनमानस की तो मजबूरी है कि वह इन गाड़ियों में बैठेंगे।

बराबर की जाती है कार्रवाई

सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी पीके सिंह का कहना है कि बराबर कार्रवाई की जाती है। ओवरलोडिग को लेकर जो अभियान चलाया गया उसमें भी 20 के आसपास वाहनों का चालान किया गया है। जहां तक सवाल पिकअप या मैजिक का है तो खटारा वाहन उन्हें कहते हैं जिनकी मियाद समाप्त हो चुकी है। 15 वर्ष से ऊपर हो चुके हैं उनका रजिस्ट्रेशन का समय निकल चुका है। लेकिन जो अभी समय सीमा के अंदर है और जिन से व्यवसाय किया जा सकता है,उन्हें खटारा वाहन नहीं कर सकते सकते कुछ एक बाहर से टूटे-फूटे वाहन यदि है तो इसके लिए वे स्वयं जिम्मेदार हैं। नियमावली के मुताबिक खटारा वाहन वही माने जा सकते हैं जिनकी मियाद समाप्त हो चुकी है।


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