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किसानन तांय तौ खाली बातय छौंकी जाय रहीं..

व पत्रकार साहब सब़ी समस्या इनहे बने हैं दुय साल सेने। अत्ता जानवर फाट परा है कि किसनई खतमय धरी है। अचानक तभी बाबूराम को कुछ काम याद आता है ओर वह चल पड़ते हैं उनके पीछे ही सभी गांव वाले अपने अपने रास्ते निकलते हैं और चुनावी बतकही यहीं खत्म हो जाती है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Apr 2019 10:38 PM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 06:20 AM (IST)
किसानन तांय तौ खाली बातय छौंकी जाय रहीं..
किसानन तांय तौ खाली बातय छौंकी जाय रहीं..

लखीमपुर : चैत महीने की तपिश भरी धूप और चलती गर्म हवाओं का असर अब सड़कों पर दिख रहा है तो गांव देहात में चुनावी बुखार चढ़ा हुआ है। हाल ये है कि जहां कहीं भी पांच लोग बैठे कि मानों चुनावी बयार अपने ही आप बहने लगती है। ऐसी ही कुछ फिजां लखीमपुर-पलिया रोड पर दाउदपुर गांव में ऐसी ही चुनावी बतकही सोसाइटी के बाहर जारी थी। पंचों की बतकही में चर्चा आने वाले चुनाव पर ही थी। मुददा खेती किसानी का था और इसी पर गांव के ही अशोक पांडेय कहे जरा रहे थे कि किसान तांय तौ खाली बातय छौंकी जाय रहीं। गन्न्ना केरा भुगतान साल भर से मिलय नायं दिहिन कहत रहयं चौदह दिन मां दै दिया जाई। सम्मान योजना आई रहय वह मा कुछ का आवा ..कुछ का दुय बार आवा ज्यादातर लोगन का आवय नाय। अब बताव का सोंचा जाय रहा किसानन का। गन्ना छीलने के लिए नया हसिया लेकर आए दाउपुर गांव बाबूराम कहने लगे ऐसा नहीं है काम हुआ है अब घर-घर कोई बतावय नाय आई तनिक खुदव देंही लचाई जाय और आगे बढ़ के पता भी किया जाए। युवा सिख सरदार करमजीत भी कहने लगे नहीं भाई हमरे समझ मा नाय आवा योजना वह जो सबके पास तक जाए केवल फोटो खिचाने वाली सरकार न हो किसानों और युवाओं के बारे में भी सोंचा जाए। ऐसा नहीं है चर्चा का ही हिस्सा बने उपेंद्र सिंह कहने लगे कितनी सुविधा चाहिए? पहले कितनी बिजली आती थी? क्या कभी गांव में सिलिडर पहुंचा था? अब सरकार घर-घर दरवाजा कैसे खटका पाएगी। उपेंद्र सिंह तो चर्चा में आंकड़े भी देने लगे और कहा कि पिछली कोई सरकार ने ऐसा काम नहीं किया। ठीक है ठाकुर साहब उनको जवाब देने के लिए पूजागांव अषाढ़ी के युवा किसान अनुज त्रिवेदी गांधी कहने लगे कि आयुष्मान योजना गरीबों के लिए अच्छी होगी लेकिन उसमें इलाज का जो क्राइट ऐरिया है वह पूरी बीमारी के खर्च उठाने का नहीं अंगवार धन दिया जाता है यानि पूरा इलाज नहीं होगा अंग के लिए जितने रुपये फिक्स हैं उतने ही मिलेंगे। हमने नहीं सुना उपेंद्र सिंह कहने लगे तभी जगतपाल गुप्ता का भी स्वर मुखर होता है और बोल पड़ते हैं सरकार वही जो गरीबों, किसानों और पीड़ित के लिए एक समान भाव रखे और देश की सुरक्षा में हर वक्त निर्णय लेने की क्षमता रखे। इरफान खान पूजागांव के हैं कहने लगे ई गैया बछरन का इंतजाम भी लिख लेव पत्रकार साहब सब़ी समस्या इनहे बने हैं दुय साल सेने। अत्ता जानवर फाट परा है कि किसनई खतमय धरी है। अचानक तभी बाबूराम को कुछ काम याद आता है ओर वह चल पड़ते हैं उनके पीछे ही सभी गांव वाले अपने अपने रास्ते निकलते हैं और चुनावी बतकही यहीं खत्म हो जाती है।

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