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छह साल से बिना काम के वेतन ले रहा बिजुआ ब्लॉक का चालक

ह वर्ष को ध्यान में रखें तो पहले कुछ कम और अब 50 हजार के हिसाब से करीब 32 लाख रुपया वेतन के रूप में दिया जा चुका है। आखिर बिना काम के ही चालक को वेतन क्यों दिया जाता रहा, अगर उसकी यहां कोई आवश्यकता नहीं थी तो उसका ट्रांसफर जिला मुख्यालय या किसी अन्य जरूरतमंद ब्लॉक में क्यों नहीं किया गया और अधिकारी इस गंभीर मामले में चुप्पी क्यों साधे रहे ये कुछ प्रश्न है जिनके जवाब अधिकारी नहीं दे पा रहे हैं। ---------------------------- जिम्मेदार की सुनिए जबसे वे यहां हैं ब्लॉक के पास अपना वाहन नहीं है। ग्राम पंचायतों में निरीक्षण आदि के लिए जाने के लिए प्राइवेट वाहन की व्यवस्था करनी होती है। चालक तैनात है जिसको वेतन दिया जा रहा है। उसे हटाने या रखने का मामला उच्चस्तर से ही देखा जाता है। ब्लॉक को वाहन उपलब्ध कराने के लिए लगातार पत्राचार किया जा रहा है। एमपी यादव, बीडीओ, ब्लॉक बिजुआ

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Feb 2019 10:59 PM (IST)Updated: Tue, 19 Feb 2019 10:59 PM (IST)
छह साल से बिना काम के वेतन ले रहा बिजुआ ब्लॉक का चालक
छह साल से बिना काम के वेतन ले रहा बिजुआ ब्लॉक का चालक

लखीमपुर : सरकारी धन के दुरूपयोग का उदाहरण बिजुआ ब्लॉक पेश कर रहा है। जहां पर तैनात चालक को पिछले छह साल से बिना काम के ही वेतन दिया जा रहा है। छह वर्ष में अपना काम किए बिना चालक के नाम से लगभग 32 लाख रुपया निकाला जा चुका है। इसको लेकर अधिकारी भी कोई संज्ञान नहीं ले रहे हैं। वे खुद निरीक्षण आदि के लिए प्राइवेट गाड़ी का प्रयोग करते हैं।

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2013 से नहीं है वाहन

बिजुआ ब्लॉक की जीप 2013 में कंडम हो जाने के बाद वापस भेज दी गई थी और तब से ही सरकारी वाहन का इंतजार किया जा रहा है। बिजुआ ब्लॉक की 80 ग्राम पंचायतों में होने वाले विकास कार्यो का नियमित निरीक्षण भी अधिकारी सरकारी वाहन न होने की वजह से नहीं कर पाते। जब प्राइवेट वाहन उपलब्ध होता है या फिर बहुत जरूरत होती है तभी अधिकारी कार्यालय छोड़कर विजिट करते हैं।

------------------------ बिना काम के ही वेतन ले रहा चालक

चूंकि ब्लॉक के पास अपना खुद का वाहन नहीं है, ऐसे में अधिकारी कहीं विजिट करने के लिए प्राइवेट वाहन से जाते हैं जिसका अपना चालक होता है। वहीं ब्लॉक में तैनात चालक को हर महीने वेतन मिल रहा है। इस समय हर महीने करीब 50 हजार रुपये सरकारी खजाने से निकलता है। इस तरह से एक वर्ष में छह लाख रुपया चालक के नाम से निकला। अगर पिछले छह वर्ष को ध्यान में रखें तो पहले कुछ कम और अब 50 हजार के हिसाब से करीब 32 लाख रुपया वेतन के रूप में दिया जा चुका है।

-------------------- जिम्मेदार की सुनिए

जबसे वे यहां हैं ब्लॉक के पास अपना वाहन नहीं है। ग्राम पंचायतों में निरीक्षण आदि के लिए जाने के लिए प्राइवेट वाहन की व्यवस्था करनी होती है। चालक तैनात है जिसको वेतन दिया जा रहा है। उसे हटाने या रखने का मामला उच्चस्तर से ही देखा जाता है। ब्लॉक को वाहन उपलब्ध कराने के लिए लगातार पत्राचार किया जा रहा है। एमपी यादव, बीडीओ, ब्लॉक बिजुआ ये मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। अगर कोई ऐसा मामला आता है तो पूरे प्रकरण की जांच कराई जाएगी और दोषी के विरुद्ध कार्रवाई भी होगी।

रामकृपाल चौधरी

परियोजना निदेशक


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