ब्लॉक कार्यालयों में दबाया जा रहा डीएम का आदेश
लखीमपुर सरकारी योजनाओं के संचालन के लिए जिन ब्लॉक कार्यालयों को जिम्मेदारी सौंपी गई है वहां के अधिकारी-कर्मचारी डीएम के आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं।
लखीमपुर : सरकारी योजनाओं के संचालन के लिए जिन ब्लॉक कार्यालयों को जिम्मेदारी सौंपी गई है, वहां के अधिकारी-कर्मचारी डीएम के आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं।
मामला वर्ष 2018-19 में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के अंतर्गत कराई गईं शादियों से जुड़ा है। उस समय अधिकारियों ने शादी कराने के लक्ष्य की पूर्ति के लिए दुल्हन का सामान खरीदने को नकद पैसा देने का निर्णय लिया लेकिन, अब एक साल बाद भी खर्च का ब्योरा देने से कतरा रहे हैं। ऐसे में वित्तीय गड़बड़ी की आशंका भी जताई जाने लगी है।
पिछले वर्ष जिले के सभी ब्लॉकों पर अलग-अलग तिथियों में 1260 जोड़ों की शादियां कराई गई थीं। नियमानुसार लड़की के खाते में 35 हजार 5.45 करोड़ का अनुदान भी दिया गया। शासनादेश के मुताबिक 10-10 हजार रुपये का सामान भी लड़की को देना था। उस समय तैयारी बैठक में जिला स्तरीय समिति ने ये निर्णय लिया कि प्रशासन खुद सामान नहीं खरीदेगा बल्कि, लड़की को ही नकद धनराशि दी जाएगी ताकि वह मनपसंद या जरूरत का सामान खरीद सके। शर्त ये रखी गई कि लाभार्थी सामान खरीदारी का बिल-बाउचर दे। इस व्यवस्था में ही पिछले साल सभी शादियां कराई गईं। अब समाज कल्याण विभाग को शादियों का उपभोग प्रमाण-पत्र ब्लॉकों से लेना है। जिसके लिए बार-बार चिठ्ठी भेजी जा रही है। दो बार डीएम ने भी निर्देश जारी किया लेकिन, खंड विकास अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा।
830 शादियां करा मंडल में नंबर वन बना जिला
वर्ष 2019-20 अब तक जिले में 830 शादियां हो चुकी हैं। जबकि पंजीकरण 640 शादियों का हुआ था लेकिन, पात्र जोड़ों के आवेदन आने पर उनका पंजीकरण तत्काल कर योजना से लाभांवित किया गया। जिसके कारण लखनऊ, उन्नाव, हरदोई, रायबरेली और सीतापुर के सापेक्ष लखीमपुर में सबसे ज्यादा शादियां हुईं।
जिम्मेदार की सुनिए
जिला समाज कल्याण अधिकारी स़ुधांशु शेखर का कहना है कि उपभोग प्रमाण-पत्र देने के लिए उन्होंने और डीएम शैलेंद्र सिंह ने भी चिठ्ठी जारी की लेकिन, सिर्फ मोहम्मदी ब्लॉक से ही उपभोग प्रमाण आया है। इसे विभाग द्वारा शासन को भेजा जाता है।