तेंदुए के हमले से बाल-बाल बचा युवक, कुत्ते को बनाया निवाला
लखीमपुर: मवेशियों के लिए चारा लेने गया युवक तेंदुए का शिकार होने से बाल-बाल बच गया। वहीं उसके साथ गए कुत्ते को तेंदुए ने शिकार बना लिया। सूचना के बाद भी वन विभाग का कोई कर्मचारी घटना स्थल पर नहीं पहुंचा।
गांव लुधौरी में कई दिनों से डेरा जमाए तेंदुए ने एक युवक को शिकार बनाना चाहा लेकिन, कुत्ते के कारण उसकी जान बच गई। लुधौरी के मजरा बिहारी पुरवा निवासी चंद्रभूषण यादव ने बताया कि बुधवार शाम वह गांव के दक्षिण स्थित अपने गन्ने के खेत से मवेशियों के लिए गन्ने की पत्ती उतारने गया था। गन्ने के खेत में उसे किसी जानवर के होने की आहट मिली। उसके साथ गया कुत्ता भी भौंकते हुए दुबकने लगा। तभी चंद्रभूषण भागकर पास ही बने मचान पर चढ़ गया। इतने में तेंदुए ने कुत्ते को शिकार बना लिया। वह काफी देर तक मचान पर दुबका रहा। काफी देर बाद शोरगुल करके अन्य ग्रामीणों को बुलाया।
लुधौरी के मजरा गोविंदपुर फार्म, नंदा पुरवा व बिहारी पुरवा के आसपास डेरा जमाए तेंदुए ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। शनिवार से मंगलवार तक गोविंदपुर में डेरा जमाए तेंदुए ने बिहारी पुरवा की ओर रुख किया है। शनिवार व सोमवार की सुबह गोविंदपुर फार्म निवासी कुलदीप सिंह काकू ने तेंदुए को देखा था। दहशत के चलते पूरी रात ग्रामीण जागते रहे और फसलों की रखवाली करने नहीं जा सके। ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग द्वारा गठित टीम केवल कागजों तक सीमित है। टीम का कोई कर्मचारी नजर नहीं आ रहा है। वन रेंजर आरिफ जमाल ने बताया कि वहां पर तेंदुए की मौजूदगी है। लोगों को सतर्क व सावधान रहने के लिए कहा गया है।
बाघ कर रहे चहलकदमी, महकमा थोप रहा सहजीवन
बाघों की मौजूदगी को लेकर संवेदनशील महेशपुर वन रेंज में आए दिन अलग-अलग स्थानों पर बाघ देखे जा रहे हैं, जो किसानों के लिए खतरे की घंटी बने हुए हैं। वन्यजीवों को जंगल में ही प्राकृतिक सुविधाएं देकर रोकने में नाकाम वन महकमा जागरूकता का संदेश देकर सहजीवन थोपने में जुटा है। ऐसे में ग्रामीणों को वन विभाग से मायूसी ही हाथ लग रही है।
सहजनिया बीट के ग्राम मोठी खेड़ा, गंगापुर, देवीपुर बीट के घमहाघाट, सुंदरपुर अयोध्या पुर, बंदरहा घाट, कोरवाघाट, महेशपुर के जमुनहा घाट, बिहारी पुर, आंवला बीट के डोकरपुर आदि स्थानों पर बाघों की चहलकदमी बनी रहती है। गन्ने के खेतों में बाघ की बढ़ी मौजूदगी को लेकर किसान कृषि कार्य के लिए खेतों में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। ऐसे में खेती किसानी के साथ ही पशुओं के चारे का संकट है। सहजनिया बीट के गंगापुर, देवीपुर के घमहाघाट, आंवला के जमुनहा घाट पर पानी की उपलब्धता के कारण बाघों की नियमित मौजूदगी है। महेशपुर का जंगल दुधवा टाइगर रिजर्व क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। इसलिए बाघों का विचरण रहता है।
दरअसल जंगल से निकले बाघ गन्ने के खेतों को सुरक्षित आशियाना समझ बैठते हैं। इलाके में बीते कई सालों से बाघ के हमलों में आधा दर्जन से अधिक लोगों की मौत एवं डेढ़ दर्जन लोग घायल हो चुके हैं।