Move to Jagran APP

ट्रामा सेंटर में रात्रि सेवा बंद, ओपीडी सुबह आठ से दो बजे तक

बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं व सड़क हादसों में तत्काल प्रभावी उपचार के लिए बने ओयल के ट्रामा सेंटर में चिकित्सकों की कमी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 May 2022 11:08 PM (IST)Updated: Fri, 20 May 2022 11:17 PM (IST)
ट्रामा सेंटर में रात्रि सेवा बंद, ओपीडी सुबह आठ से दो बजे तक
ट्रामा सेंटर में रात्रि सेवा बंद, ओपीडी सुबह आठ से दो बजे तक

लखीमपुर : बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं व सड़क हादसों में तत्काल प्रभावी उपचार के लिए बने ओयल के ट्रामा सेंटर में चिकित्सकों की कमी है। ऐसे में यहां रात्रिकालीन सेवाएं बंद कर दी गई हैं। ओपीडी भी सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक की जाएगी।

loksabha election banner

ओयल के बेहजम तिराहे पर ट्रामा सेंटर का 19 फरवरी 2021 को धूमधाम से शुभारंभ भी किया गया लेकिन अब यहां डाक्टरों का अभाव भी शुरू हो गया। मात्र एक डाक्टर के सहारे ट्रामा सेंटर चल रहा है जिससे ट्रामा सेंटर प्रभारी ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। हालांकि कुछ दिन पूर्व ही स्वास्थ्य विभाग के एडी के निरीक्षण के बाद नाराज होते हुए पीएचसी की ओपीडी ट्रामा में ही करने का आदेश दिया था। जिसके बाद पीएचसी प्रभारी छुट्टी पर चले गए। मात्र आयुष चिकित्सक अपनी सेवाएं रोस्टरवार ट्रामा में दे रहे हैं। डाक्टरों के अभाव के चलते 24 घंटे की सेवाएं दे पाना मुश्किल होने लगा। ट्रामा प्रभारी डा. मोहित तिवारी ने शिकायत अपने उच्चाधिकारियों से कर और डाक्टरों की मांग की।

डा. मोहित ने बताया मैं ही यहां पर इकलौता एमबीबीएस डाक्टर बचा हूं अकेले 24 घंटे सेवाएं दे पाना मुश्किल है। जिसके चलते अब ट्रामा सेंटर की ओपीडी मात्र सुबह आठ बजे से दो बजे तक की जाएगी। रात्रिकालीन सेवाएं फिलहाल के लिए बंद कर दी गई हैं। डाक्टरों के मिलते ही 24 घंटे सेवाएं फिर से पूर्व की भांति चलेंगी।

सीएचसी बनने के बाद भी मरीजों को सुविधा नहीं अपर निदेशक स्वास्थ्य चिकित्सा जीएस वाजपेयी ने शुक्रवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चंदनचौकी का निरीक्षण किया। उनके साथ मुख्य

चिकित्साधिकारी डा. शैलेंद्र भटनागर भी थे। अपर निदेशक ने सबसे पहले परिसर में बने घास फूस के बीच सुनसान पड़े चिकित्सक आवास टाइप वन, टाइप टू व अन्य आवासों को देखा जहां कमियां ही कमियां मिली। उन्होंने उसकी साफ-सफाई के

बाद दुरुस्त करवाने के निर्देश दिए। बिजली पानी आदि की व्यवस्था भी देखी। उन्होंने हास्पिटल के अंदर बने एक-एक केबिन को देखा पर वहां पर न तो मरीजों के लिए बेड दिखाई पड़े न ही ऐसा लगा यहां कोई भी मरीज आता हो। हर तरफ से वह असंतुष्ट ही दिखे। आपरेशन थियेटर का साजो सामान एक कमरे में बंद मिला।

जिसे दो दिन के अंदर सेट करके रखने को कहा और अति शीघ्र अस्पताल चालू करवाने के निर्देश दिए। हास्पिटल की छत पर रखी ढक्कन रहित पानी की टंकी को देखकर पूछा तो स्टाफ ने बताया ढक्कन बंदरों ने तोड़ दिया। ये सुनकर उसका कुछ उपाय करने को कहा। पूछने पर स्टाफ में एक चिकित्सक, एक फार्मासिस्ट वार्ड ब्याय सहित चार का स्टाफ बताया गया हालांकि गत माह दस का स्टाफ तैनाती के लिए बताया गया था। जो देखने से लगता है महज कागजी था।

हास्पिटल जाने का अपना रास्ता नहीं करोड़ों की लागत से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व चिकित्सक आवास बनाए गए हैं लेकिन, मरीजों के जाने का रास्ता अभी तक नहीं बनाया गया है। एक गेट लगा भी है जो परियोजना के रहमोकरम पर है। उसमें हर समय ताला लटकता रहता है। हालांकि जब गेट की समस्या को बताया गया तो उसके लिए शीघ्र ही गेट बनवाने की बात कही गई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.