मगरमच्छों के जबड़े और जहरीले सांपों के फनों पर कब्जा कर लेते हैं रामकुमार
अब तक 1000 मगरमछों और सांपों को काबू में कर चुके हैं रामकुमार बारिश के दिनों में बढ़ी मांग। शारदानगर रेंज में ट्रैक्टर क्लीनर अपनी हिम्मत और हुनर के बलबूते छाए।
लखीमपुर : शारदानगर रेंज में ट्रैक्टर क्लीनर रामकुमार अपनी हिम्मत और हुनर के बलबूते इनदिनों वन विभाग के अधिकारियों के चहेते बने हुए हैं। रामकुमार को ताकतवर मगरमच्छ के जबड़े, अजगर और जहरीले सांपों के फन को काबू करना बखूबी आता है। अब तक रामकुमार 1000 मगरमच्छ, 500 से अधिक अजगर और सांप पकड़ चुके हैं, इसलिए बारिश के मौसम में रामकुमार की डिमांड सबसे ज्यादा है।
वर्ष 1979 में बतौर संविदाकर्मी रामकुमार करीब एक दशक से ज्यादा इंदिरा मनोरंजन पार्क की रखवाली में तैनात थे। 2002 में ट्रैक्टर क्लीनर के पद पर समायोजित होने के बाद वन विभाग के कामों में रामकुमार की भूमिका बढ़ने लगी। वर्ष 2008 में वन विभाग के पास जब मगरमच्छों और जहरीले सांपों को पकड़ने वाला कोई एक्सपर्ट नहीं बचा तो तत्कालीन वन दरोगा अशोक कश्यप ने रामकुमार का हौसला बढ़ाया। खास बात ये है कि रामकुमार ने कभी मगरमच्छों या जहरीले सांपों को पकड़ने का कोई प्रशिक्षण नहीं लिया लेकिन, पिछले सात-आठ वर्षों में शहर और गांवों में मगरमच्छों को आसानी से पकड़ने की महारत हासिल कर ली। कहीं भी मगरमच्छ निकलने पर वन विभाग के अधिकारी रामकुमार को याद करते हैं। 20 से 25 मिनट में पकड़ते हैं मगरमच्छ
बकौल रामकुमार, घटनास्थल पर पहुंचने के बाद उन्हें सिर्फ मगरमच्छ या अजगर ही दिखाई देता है। मगरमच्छ पकड़ने के लिए उसके जबड़े को काबू करना सबसे जरूरी होता है। रामकुमार बोरा या कपड़ा उसके मुंह पर डालकर काबू करते हैं। उनके साथ वनकर्मी पूंछ का हिस्सा दबोच लेते हैं। रस्सी में जकड़ने के बाद उसे शारदा नदी में छोड़ देते हैं। रेंजर की सुनिए वन क्षेत्राधिकारी एनके राय कहते हैं कि मगरमच्छों, अजगर या जहरीले सांपों को पकड़ने में रामकुमार पूरी तरह दक्ष हो चुका है। खास बात ये है कि इतने वर्षों में कभी रामकुमार ऑपरेशन के दौरान चोटिल नहीं हुआ है। बरसात में रामकुमार की भूमिका बढ़ गई है।