बफर जोन में बाढ़ के साथ मगरमच्छ अजगर का खतरा मंडराया
सुहेली घाघरा मुहाना नदियों में ज्यादा आते हैं जलीय जीव। धौरहरा निघासन और पलिया इलाके में छोटी नदियों में डेरा जमा लेते हैं मगरमछ। वन कर्मियों को गांव-गांव जन जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है।
लखीमपुर: नदियों का जलस्तर बढ़ने के साथ ही बफर जोन इलाके में अब जलीय जीवो का भी खतरा मंडराने लगा है अधिकारियों के मुताबिक सुहेली घाघरा मुहाना जैसी नदियों से बड़ी संख्या में मगरमच्छ आ गए हैं वन विभाग ने सभी रेंजों में मगरमच्छ से होने वाले हादसों को रोकने के लिए तीन-तीन टीमें गठित कर दी है साथ ही ग्रामीणों को भी सतर्क किया जा रहा है कि वह नदी और तालाबों के किनारे पशुओं को छोड़ें और ना ही खुद ही जाएं। इसके लिए वन कर्मियों को गांव-गांव जन जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है।
बफर जोन के लगभग सभी रेंजों में मगरमच्छों के तालाब में आने और जंगल से निकलकर आबादी में अजगर के आ जाने की घटनाएं देखी जाती हैं। वर्ष 2019-20 में वन विभाग ने मगरमच्छ, कछुआ, अजगर, सांप सहित कुल 100 जानवरों का रेस्क्यू किया था, जबकि आठ से 10 मगरमच्छों की मौत सड़क किनारे वाहन से कुचलकर हो चुकी है। इस वर्ष अप्रैल महीने से लेकर अब तक करीब छह मगरमच्छों सहित 50 जीवों का रेस्क्यू किया है। बारिश और जलभराव के दौरान इन जीवों का खतरा और भी बढ़ जाता है। बाढ़ की स्थिति में जब मनुष्य और जली जीवों का आमना-सामना होता है तो जनहानि के आंकड़े बढ़ने लगते हैं। बफर जोन के उपनिदेशक डॉ अनिल कुमार पटेल का कहना है कि हर रेंज में तीन-तीन टीमें गठित की गई हैं इनमें दो टीमें दिन के समय में तथा एक टीम रात के समय में काम करेगी। टीमों को निर्देश दिया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में वनकर्मी घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करें।