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पहचान उजागर न हो जाए इसलिए मार डाला था सोनम को

या का रूप देने की कोशिश करते हुए उसके शव को एक पेड़ की टूटी हुई डाल से लटका दिया था।

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 09:51 PM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 09:51 PM (IST)
पहचान उजागर न हो जाए इसलिए मार डाला था सोनम को
पहचान उजागर न हो जाए इसलिए मार डाला था सोनम को

लखीमपुर : खीरी जिले में सनसनी फैलाने वाले सोनम हत्याकांड के दोषी पाए गए सिपाही अतीक को अब पूरी जिदगी जेल की सलाखों में ही रहना होगा। जिस तरह मासूम सोनम को बेरहमी से इस सिपाही ने मौत के घाट उतारा था उसकी सजा उसको मिल ही गई। नौ साल पहले वह 11 जून की शाम तक जब सोनम अपनी बकरियों को चराते वक्त थाना परिसर में पहुंच गई थी। उसी वक्त सिपाही शैतान बन गया और अपनी पहचान के खुलासे के डर से उसने सोनम का गला घोंट दिया। इस हाई प्रोफाइल मामले में सियासत भी खूब गरम हुई जिसका परिणाम ये निकला कि मामले की सीबीआई जांच हुई। जांच में दो आरोपित शिवकुमार और उमाशंकर को संदेह का लाभ मिला तो सिपाही अतीक के मददगार सीओ पर भी अदालत ने कोई भी रहम दिली नहीं दिखाई।

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निघासन में खुशी की लहर, बोले लोग सोनम को मिला इंसाफ

निघासन अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष मेजर सिंह ने सोनम हत्याकांड के फैसले पर खुशी जताई है और इसे न्याय की जीत बताया। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका ने एक बार फिर से ये साबित किया कि अपराध कारित करने वाला कितना भी रसूखदार क्यों न हो उसकी करनी का फल उसे मिलकर रहेगा। इस मामले में भी वही हुआ। पुलिस वालों ने इस मामले में साक्ष्य मिटाने की जी-तोड़ कोशिश की लेकिन इंसाफ टस से मस नहीं हुआ। वहीं दूसरी ओर निघासन के वरिष्ठ अधिवक्ता सुबोध कुमार पांडेय ने भी इस फैसले पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि फैसला स्वागत योग्य है लेकिन इसे आने में नौ साल का वक्त लगा। उनका कहना है कि अदालती कहावत है कि विलंबित न्याय से पीड़ित की भावनाएं आहत होती हैं। फिर भी सोनम हत्याकांड पर फैसले का पांडेय ने स्वागत किया है। शिक्षिका चारु चतुर्वेदी कहती है कि न्याय इसी को कहते जो सोनम के परिवार को मिला है। भले ही देर हुई है लेकिन सही फैसला है। नारी सुरक्षा पर ऐसे अपराधों में ऐसे फैसले आये तो काफी हद तक घटनाओं पर विराम लग सकता है।आरोपियों को सजा मिलनी ही चाहिए थी। प्रभा त्रिपाठी कहती है कि सोनम के परिवार वालो ने काफी गरीबी के हालात में यह लड़ाई लड़ी है। लेकिन काफी समय बाद उन्हें सही न्याय मिला है।परिवार वालो के हौसलों की सराहना करते कहा कि काफी मुश्किलो का सामना करने के बाद भी परिवार के लोगो ने आरोपियों को उनकी सजा दिलाने का काम किया है। पुलिस महकमे के अधिकारी के द्वारा किए गए कृत्य व उसको छुपाने में भागीदारी निभाने वाले पुलिस कर्मियों को सजा दिलाना जरूरी था। 'चहेते गनर' को बचाने की भरपूर कोशिश की थी सीओ निघासन ने

खीरी जिले में नौ साल पहले हुए बहुचर्चित सोनम हत्याकांड में दोषी पाए गए निघासन के तत्कालीन सीओ इनायतउल्लाह ने अपने चहेते गनर को बचाने की भरपूर कोशिश की थी। मगर सीबीआई की विवेचना ने सच्चाई से इस कदर पर्दा उठाया कि सारा कुछ दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। अब गनर के साथ ही सीओ निघासन भी उतने ही बड़े जुर्म के कुसूरवार माने गए जितने कि उनका गनर अतीक अहमद। जल्दी ही लखनऊ की अदालत से मासूम सोनम हत्या व साक्ष्य मिटाने के दोषी करार दिए गए कानून के इन दोनों रखवालों को सजा सुनाई जाएगी।

हत्या की ये जघन्य वारदात खीरी जिले के निघासन थाना परिसर में 10 जून 2011 की शाम उस वक्त हुई थी, जब थाने के नजदीक ही रहने वाली मासूम सोनम अपनी बकरियां चराते हुए थाना परिसर में पहुंच गई। यहीं पर पुलिस के पुराने आवासों में रहने वाले सिपाही और सीओ निघासन के गनर अतीक अहमद ने पहले तो गला घोंट कर उसकी हत्या की बाद में हत्या को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश करते हुए उसके शव को एक पेड़ की टूटी हुई डाल से लटका दिया था। मामला तूल पकड़ते देर नहीं लगी और फिर तमाम हूहुज्जत के बाद तत्कालीन सरकार को ये मामला सीबीआई के सुपुर्द करना पड़ा। सीबीआई की तफ्तीश में हत्याकांड का दोषी सीओ के गनर अतीक अहमद को पाया गया और उसकी भरसक मदद करने व साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने वाले सीओ को भी बराबर का जिम्मेदार माना गया।


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