लंबी दूरी के चलते सांसत में रहती है घायलों की जान
ष्टश्रद्वद्वह्वठ्ठद्बह्ल4 ॥द्गड्डद्यह्लद्ध ष्टद्गठ्ठह्लह्मद्गष्टश्रद्वद्वह्वठ्ठद्बह्ल4 ॥द्गड्डद्यह्लद्ध ष्टद्गठ्ठह्लह्मद्गष्टश्रद्वद्वह्वठ्ठद्बह्ल4 ॥द्गड्डद्यह्लद्ध ष्टद्गठ्ठह्लह्मद्ग
लखीमपुर : पलिया की जिला मुख्यालय से दूरी 75 किमी है, जबकि खजुरिया और गौरीफंटा, चंदनचौकी जैसे दूरस्थ इलाकों से जोड़ा जाए तो 100 किमी से अधिक की दूरी बैठती है। ऐसे में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की विशेष तौर पर दरकार है। देखा जा रहा है कि स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बेहद महत्वपूर्ण सर्जन व एनेस्थेटिक के पद खाली है।। ऐसे में यहां आने वाले घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद सीधे जिला अस्पताल रेफर करना मजबूरी है।
-----------------------
लंबी दूरी बन जाती है जानलेवा
लखीमपुर की 75 किमी की दूरी की वजह से अक्सर घायलों की जान मुसीबत में पड़ जाती है। अगर अस्पताल में सर्जन हो तो प्राथमिक उपचार देकर घायलों को रेफर किया जा सकता है जिससे कि वे समय रहते जिला अस्पताल पहुंच जाए।
--------------------------------------
कब से नहीं है सर्जन
यहां पर अंतिम रूप से तैनात सर्जन डॉ. सतीश कुमार थे जिनका 2014 में ट्रांसफर हो गया था। उसके बाद से अब तक इस पद पर स्थायी या अस्थाई किसी भी तरह की नियुक्ति नहीं की जा सकी है। इसके लिए प्रयास भी बराबर चल रहा है लेकिन सफलता नही मिल पा रही है।
----------------------
क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में सीएचसी अधीक्षक डॉ. एसके चौधरी का कहना है कि सर्जन की तैनाती के लिए लगातार पत्राचार किया जा रहा है, लेकिन जिले में कोई सर्जन अतिरिक्त नहीं है इसलिए नियुक्ति नहीं हो पा रही है। शासन स्तर से सीधे नियुक्ति का भी प्रावधान है पर उस पर अमल नहीं हो रहा है।